नई दिल्ली:- लोग बहुत मुश्किल से अपनी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा भविष्य में आर्थिक संकटों से पार पाने के लिए बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों में एफडी कराते हैं, लेकिन जब बैंक अफसरों की तथाकथित साजिश के तहत एफडी में जमा मेहनत के लाखों रुपये निकाल लिए जाएं तो आप कैसा महसूस करेंगे. एक निजी बैंक द्वारा एफडी अकाउंट से लाखों रुपये के धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. ताज्जुब की बात यह है कि जब पीड़ित महिला ने बैंक से इस फ्रॉड के बारे में शिकायत की तो अधिकारियों उसे आयकर विभाग के अधिकारियों को बुलाकर फंसाने की धमकी दी.
मामला उपभोक्ता अदालत तक पहुंचने के बाद दिल्ली पुलिस ने निजी बैंक के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू कर दी है. यह मामला एक निजी बैंक के कर्मियों द्वारा महिला के एफडी खाते से उड़ाए गए 10 लाख रुपये से जुड़ा है. दिल्ली पुलिस निजी बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है. दिल्ली पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर बैंक के मुंबई स्थित मुख्य कार्यालय के खिलाफ मामला दर्ज किया और इसके अध्यक्ष और दिल्ली शाखा प्रबंधक को नामित किया.
पुलिस को है इस बात की आशंका मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस को संदेह है कि दिल्ली में निजी बैंक के अधिकारियों ने अन्य स्थानीय बैंकों के अधिकारियों के साथ मिलकर महिला को धोखा दिया. पैसा अब एक अज्ञात खाते में है. दरअसल, दिल्ली की एक महिला देश की एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय निजी बैंक के सावधि जमा खाते में अपनी बेटी के लिए पैसे अलग से जमा करा रही थी. महिला को हाल ही में पता चला कि उसके खाते से जिसमें लगभग 10 लाख रुपये थे, गायब हो गए.
बैंक ने दिये थे ये सुझाव इस मामले में दिल्ली के प्रीत विहार निवासी पीड़ित महिला एक निजी फर्म में काम करती है. उन्होंने कहा कि उनका बैंक में एक दशक से अधिक समय से बचत बैंक खाता था. मैंने अपनी बेटी और उसकी शिक्षा के लिए पैसे बचाने के लिए खाता बनाया था. 29 सितंबर, 2016 को शेष राशि 5.98 लाख रुपये थी. बैंक ने मुझे भरतपुर शाखा जहां मेरा परिवार पहले रहता था, में एक एफडी खाता खोलने और उसमें पैसे ट्रांसफर करने की सलाह दी थी. प्रीत विहार शाखा के एक बैंक अधिकारी ने मुझे अलग-अलग निवेश योजनाएं बनाने के भी सुझाव दिए.
महिला का दावा- अफसरों ने दी थी ये धमकी पीड़ित महिला के मुताबिक उन्होंने ‘गर्ल चाइल्ड प्लान’ के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का भुगतान करने पर सहमत हुईं. पुलिस के अनुसार पहली किस्त 2016 में और दूसरी 2017 में काटी गई थी. कुछ समय बाद मुझे तीसरी किस्त जमा करने के लिए बैंक से फोन आया. चूंकि यह देय नहीं था. मैं स्पष्ट करने के लिए बैंक गई और मुझे बताया गया कि ऐसी कॉलें मुख्यालय के कॉल सेंटरों से की जाती हैं जो आउटसोर्स हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि किस्त अभी भी देय नहीं है.