नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि को आदिशक्ति के सातवें मां काली की पूजा की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले लोग नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर विशेष अनुष्ठान करते हैं। शास्त्रों में देवी काली की पूजा रात्रि के समय करने का प्रावधान है। निशा काल में मां काली की पूजा की जाती है। इस दौरान पूजा करने से मां जल्दी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही किसी विशेष कार्य में सफलता प्राप्त होती है। नवरात्रि के सातवें दिन सुकर्मा योग बन रहा है। इसके अलावा भद्रावास योग भी बन रहा है। इससे भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की सप्तमी तिथि 22 अक्टूबर को रात 9 बजकर 53 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी। दिन और रात दोनों में मां काली की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मां काली की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। बिगड़े काम बनने लगते हैं।
सुकर्मा योग
नवरात्रि के सातवें दिन सुकर्मा योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण 22 अक्टूबर की रात 12.37 तक है। ज्योतिषी शुभ कार्य करने के लिए सुकर्मा योग को सर्वोत्तम मानते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से साधक को निश्चित फल मिलता है।
भद्रावास
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्लभ ‘भद्रवास’ का निर्माण होता है। यह योग रात 09 बजकर 53 मिनट से पूरी रात तक है। धार्मिक मान्यता है कि जब भद्रा स्वर्ग में रहती है, तो संपूर्ण मानव जगत धन्य हो जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि शुभ है।
करण
शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पहली बार गर करण का निर्माण हो रहा है। गर करण प्रातः 10.41 बजे तक है। इसके बाद वणिज करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 9.53 बजे तक चलेगा। गर और वणिज करण दोनों ही शुभ माने जाते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 06.25 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 17.46 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 05.46 मिनट पर
चंद्रास्त- रात 10.59 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – 04.44 मिनट से 05.35 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01.59 मिनट से 2.44 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.43 मिनट से 12.28 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05.46 मिनट से 06.11 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11.41 मिनट से 12.31 मिनट तक