देश की राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 समिट का आयोजन हुआ. दुनिया की 60 फीसदी आबादी वाले देश इस सम्मेलन का हिस्सा बने. मेहमानों के स्वागत में 4 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च हुए. इतने पैसे खर्च करके आखिर भारत को हासिल क्या हुआ, आइए जानते हैं.जी20 समिट में खर्च हुए 4 हजार 200 करोड़ रुपये, आखिर भारत को इससे हासिल क्या हुआ?दिल्ली में जी20 समिट का आयोजन
दिल्ली में जी20 सम्मेलन हुआ और दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क यहां पर आए. इसका मतलब है दुनिया की जीडीपी का 85 फीसदी हिस्सा और वर्ल्ड ग्रोस प्रोडक्ट का 80 फीसदी हिस्सा, दुनिया की 60 फीसदी जमीन और दुनिया की 60 फीसदी आबादी वाले देश इस सम्मेलन का हिस्सा बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा कैबिनेट मेहमानों के स्वागत में जुटा रहा और इसके स्वागत में 4 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च किए गए.इस आयोजन के जरिए भारत ने दुनिया के सामने देश की बहुरंगी संस्कृति और भारत के बढ़ते वैभव को पेश किया. लेकिन लोगों के मन में सवाल है कि इतनी भव्यता और हजारों करोड़ रुपये खर्च करके भारत को आखिर क्या हासिल हुआ है और इससे क्या हासिल हुआ है.
आपको बता दें कि जी20 में 19 देश और यूरोपिय संघ के 27 देश शामिल हैं. वहीं इस बार अफ्रीकन यूरोयिन को भी जी20 में शामिल किया गया है.इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका-फ्रांस-ब्रिटेन-रूस-इटली जैसे ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए, जिसमें G-20 के महामंच पर साझा सहयोग, रणनीतिक और बुनियादी ढांचे से जुड़े कई समझौते हुए. IMEC प्रोजेक्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर की तरफ बड़ा कदम बढ़ाया.जी20 से भारत को क्या मिलाजी20 के भव्य आयोजन से दुनिया ने भारत की ताकत देखी.
तेज रफ्तार से भारत की इकॉनोमी दौड़ रही है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सुनहरा मौका है. इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति शामिल हुए और इससे भी भारत को बड़ा फायदा मिलने वाला है. भारत और अमेरिका के बीच तेजी से आर्थिक संबंध बढ़ रहे हैं और इससे उनमें तेजी आने की उम्मीद है. वहीं इस समय अमेरिका के चीन से खराब संबंध होने की वजह से दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है, जिसका फायदा भारत को मिल सकता है.
चीन से बढ़ती अमेरिकी कंपनियों की दूरी से भारत एक बड़े विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आया है.1: दुनिया में भारत की छवि मजबूतभारत में हुई जी20 मीटिंग की टाइमिंग बेहद खास रही, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया दो गुटों में बंटी हुई है और युद्ध की वजह से हो रही परेशानियों पर सभी का फोकस था. भारत ने जी20 में युद्ध की बजाया विकास के मुद्दे को आगे किया और विकाशील देशों, ग्लोबल साउथ को जी20 में शामिल किया. भारत ने वन अर्थ, वन फामिली और वन फ्यूचर के जरिए समाधान की बात की, जिससे भारत की दुनिया में छवि मजबूत होगी.
2: निवेश आने की संभावनाएंजी20 सदस्यों का दुनिया की जीडीपी में 85 फीसदी हिस्सा और वर्ल्ड ग्रोस प्रोडक्ट में 80 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत में इसके आयोजन से निवेश की संभावना बढ़ी है.3: नेतृत्व को लेकर सोच बदलेगीमौजूदा दौर में अमेरिका, चीन और रूस ही नेतृत्वकर्ता के रूप में दुनिया के सामने खुद को पेश करते हैं. जी20 के सफल आयोजन के जरिए भारत भी इस रेस में आयोजन हो गया है.
4: वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधारजी20 देश वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए. जी20 देश विकासशील देशों को अधिक जलवायु वित्त प्रदान करने पर भी सहमत हुए, जिससे भारत को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी.
5: रूस ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता का दिया संदेशइसके साथ ही भारत के सामने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बड़ी चुनौती थी. इंडोनेशिया की जी20 समिट में रूस को कड़े शब्दों में यूक्रेन से हटने को कहा गया था और अगर इसमें रूस के खिलाफ कोई निंदा प्रस्ताव पास होता तो भारत के साथ उसके संबंधों में फर्क पड़ता. भारत के सामने यूक्रेन युद्ध और इससे पड़ने वाले प्रभाव को लेकर जिक्र करना एक बड़ी चुनौती थी, जिसको भारत ने बड़े ही सधे अंदाज में बिना रूस का नाम लिए हुए शांति की अपील की और रूस ने इस बात को सराहा.
इसके बाद रूस के विदेश सर्गे लॉवरोव ने एक बड़ा बयान दिया और कहा कि हमें नेगोशिएशन से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस बात से यह आशय निकलता है कि रूस ने इस समिट में यूक्रेन के साथ बातचीत का संदेश दे दिया. यह भारत की एक बड़ी जीत थी, क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के राष्ट्राध्यक्ष यहां पर मौजूद थे.जब इस समिट का समापन हो रहा था तो पीएम ने कहा कि संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो.
इसमें भारत को वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिली है और दुनिया ने भारत का लोहा माना. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी नहीं आए. हालांकि यहां पर भारत ने रूस और अमेरिका दोनों को साधा और विश्व में अपनी छवि को मजबूत करने का काम किया.ये भी पढ़ें: जी20 के बाद भी भारत में क्यों रुके सऊदी क्राउन प्रिंस?
ये चीजें भी हो सकती थीं हासिलरूस-यूक्रेन जंग पर कड़ा रुख देखने को मिल सकता थाविदेश मामलों के जानकारों को उम्मीद थी कि जी20 समिट में यूक्रेन जंग को लेकर कड़ा देखने को मिल सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.