नई दिल्ली :- दुनिया के सबसे बड़े अमीर कारोबारी एलन मस्क ने एक बार फिर से बच्चे करने की इच्छा जाहिर की है. वाल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक एलन मस्क ने दुनिया भर से सरोगेसी के माध्यम से बच्चे पैदा करने की प्लानिंग की है ताकि उनका परिवार दुनिया में सबसे बड़ा हो सके. मस्क ने सरोगेसी से बच्चा पैदा करने की इच्छा जाहिर की है. सरोगेसी में कपल का अंडाणु और शुक्राणु को बाहर एक परखनली में फ्यूज कराया जाता है और उसे किसी तीसरी महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है. एलन मस्क 53 साल के हो चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई मर्द 50 के बाद बच्चा पैदा करने में सक्षम हो पाते हैं. उनका स्पर्म कितना कारगर होता है.
कब तक सही रहता है स्पर्म
अगर सीधा जानना चाहें तो 30-35 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे पुरुषों में प्रजनन क्षमता में कमी आने लगती है. यानी स्पर्म की गुणवत्ता में कमी आने लगती है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि स्पर्म पूरी तरह से बेकाम हो जाता है. बिड़ला फर्टिलिटी आईवीएफ की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मुस्कान छाबड़ा बताती है कि अगर सही तरीके से इसकी प्रक्रिया पूरी की जाए तो भारत में स्पर्म डोनेशन बिल्कुल सुरक्षित है. यहां इसे बेहतर तरीके से किया जाता है. भारतीय कानून के मुताबिक 21 से 55 साल का कोई भी पुरुष स्पर्म डोनेट कर सकता है. हालांकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्पर्म की गुणवत्ता कम होती जाती है. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्पर्म की क्वालिटी सही हो. हालांकि यह भी सच है कि ज्यादातर स्पर्म बैंक 35 साल से कम आयु के पुरुषों के स्पर्म को प्राथमिकता देते हैं. इसमें इतना ज्यादा रिस्क नहीं रहता.
35 के बाद स्पर्म होने लगता है कमजोर
एक्सपर्ट की मानें तो 35 साल के बाद स्पर्म की गुणवत्ता कमजोर होने लगती है लेकिन 40 साल के बाद तेजी से शुक्राणुओं की संख्या में भी कमी आती है. स्पर्म की गुणवत्ता में कई चीजें शामिल है. जैसे स्पर्म की संख्या, स्पर्म की गतिशीलता, स्पर्म के स्विम करने की क्षमता,स्पर्म का वॉल्यूम, स्पर्म की हेल्थ आदि. डॉ. मुस्कान छाबड़ा ने बताया कि यही कारण है कि जब किसी पुरुष से स्पर्म लिया जाता है तो उसमें कई तरह के टेस्ट कराए जाते हैं. एचआईवी, हेपटाइटिस बी,सी, सिफलिस जैसी बीमारियों केअलावा जेनेटिक टेस्ट भी किए जाते हैं.
स्पर्म में क्या-क्या कितना होना चाहिए
डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइन के मुताबिक एक वयस्क पुरुष में प्रति एमएल 1.5 करोड़ से 20 करोड़ तक स्पर्म होना चाहिए. अगर इससे कम है तो यह एक बीमारी है. इसका इलाज किया जाना चाहिए. वहीं एक बार में 1.5 एमएल से 7.6 एमएल तक सीमेन होना चाहिए. इस हिसाब से अगर एक बार में किसी पुरुष में स्पर्म 3.9 करोड़ से कम निकलता है तो उसे ओलिगोस्पर्मिया की बीमारी है. इसके साथ ही सपर्म का कंस्ट्रेशन प्रति एमएल 15 से 259 होना चाहिए औ टोटल मोटिलिटी 40 से 81 प्रतिशत होना चाहिए. स्पर्म की मॉर्फोलॉजी भी 4 से 48 प्रतिशत होनी चाहिए.