रीवा। हर वर्ष की भांति इस साल भी 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर अच्छे चाल चलन और बेहतर कार्य करने वाले बंदियों को रिहा किया गया। एमपी के रीवा केन्द्रीय जेल से 7 बंदियों को रिहाई मिली है। इसके लिए जेल प्रशासन द्वारा जेल मुख्यालय को प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया था। जिसमें सर्वाधिक कैदी रीवा और शहडोल संभाग के शामिल हैं।
मुख्यालय भेजी गई थी सूची
2 अक्टूबर गांधी जयंती पर रिहाई के लिए आजीवन कारावास की सजा से दंडित उन कैदियों की सूची मुख्यालय को भेजी गई थी जिन्होंने सूखी सजा के 14 साल और माफी मिलाकर 20 साल का कारावास भुगत लिया है। यही नहीं देशद्रोह, दुष्कर्म, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और पॉक्सो एक्ट सहित गंभीर धाराओं में सजा पाने वाले कैदियों को रिहाई से पृथक रखा गया है। जेल मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद बंदियों को रिहा किया गया।
जेल प्रबंधन ने इन्हें किया रिहा
रीवा केन्द्रीय जेल से गांधी जयंती पर 7 बंदियों को रिहा किया गया है। जिनमें गया प्रसाद पिता राजनाथ निवासी सरई सिंगरौली, राजकुमार पिता गया प्रसाद निवासी सरई सिंगरौली, घनश्याम पिता रामकिशोर पाठक निवासी रजवा धारकुंडी चित्रकूट, विष्णु प्रसाद पिता देवान प्रसाद निवासी दसौती बैढ़न जिला सिंगरौली, रवि पटवा पिता बलजीत पटवा निवासी कतरवार मझौली सीध, जगजीवन पिता गंगाराम बैस तियरा थाना बैढ़न सिंगरौली एवं सुरेश प्रसाद पिता गंगू यादव निवासी हर्री जिला शहडोल शामिल हैं। यह सभी जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। जिन्हें अच्छे चाल चलन के चलते केन्द्रीय जेल प्रशासन द्वारा रिहा किया गया।
साल भर में 4 बार मिलती है रिहाई
अच्छे आचरण सहित अन्य नियमों के आधार पर जेल प्रशासन द्वारा बंदियों को रिहाई दी जाती है। जेल में बंद बंदियों को जेल मेनुअल के हिसाब से मध्यप्रदेश शासन रिहा करता है। पूर्व में साल भर में केवल दो बार ही बंदियों को रिहा किया जाता है। किंतु अब चार बार रिहा होने का अवसर मिलता है। जिसमें 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर गांधी जयंती और 14 अप्रैल अम्बेडकर जयंती शामिल हैं। गांधी जयंती पर इस बार केन्द्रीय जेल रीवा से 7 कैदियों को रिहाई दी गई है।