नई दिल्ली। गुरुवार को वहां की कोर्ट ने आठों के लिए सजा-ए-मौत का फरमान सुना दिया. उन पर क्या-क्या आरोप लगे हैं, कतर की तरफ से इसे लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन पिछले साल जासूसी के आरोप में इनकी गिरफ्तारी हुई थी. भारत सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है कि वह किस तरह आठों भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है.
कतर की कोर्ट के फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय हैरान है और कहा है कि भारतीयों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए कानूनी रास्ते तलाशे जा रहे हैं. कानून के जानकारों की मानें तो सरकार के पास अभी भी कई रास्ते हैं, जिसके जरिए वह अपने नागरिकों को सजा से बचा सकती है. आइए जान लेते हैं कि सरकार के पास अभी कौन-कौन से कानूनी रास्ते हैं-
कानूनी लड़ाई लड़े भारत
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने बताया है कि अपने नागरिकों को सजा से बचाने के लिए सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की मदद ले सकती है या फिर कतर पर राजकीय दबाव बनाकर नागरिकों को फांसी से बचाया जा सकता है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की मदद का भी विकल्प है. उन्होंने बताया कि सरकार के पास एक तरीका यह है कि वह कतर की ऊपरी अदालत में फांसी की सजा के खिलाफ अपील कर सकती है. अगर मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या फिर अपील नहीं सुनी जाती है तो भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख कर सकती है. आनंद ग्रोवर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और इंटरनेशनल कॉन्वेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स के प्रावधान कहते हैं कि आमतौर पर कुछ मामलों को छोड़कर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है.
कूटनीतिक तरीके से मसले को सुलझाए
इस मसले को कूटनीतिक तरीके से भी सुलझाया जा सकता है. इसके लिए या तो भारत कतर अधिकारियों से सीधे बात करे या फिर उसके मित्र देशों से बातचीत कर कतर सरकार से अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए अपील करे.
राजनीतिक दखल
आठों नागरिकों छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री के स्तर पर राजनीतिक दखल की भी बात कही जा रही है. इसके लिए कतर सरकार से क्षमा याचना की अपील की जा सकती है.
अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाए
भारत सरकार के पास संयुक्त राष्ट्र का भी रास्ता खुला है. सरकार संयुक्त राष्ट्र का सहारा लेकर कतर पर भारतीय नागरिकों के लिए दया याचना की अपील कर सकती है.
8 भारतीयों की फांसी पर क्या कहते हैं पूर्व राजनियक?
कतर में भारत के पूर्व राजनियक और विदेशी मामलों के एक्सपर्ट के पी फैबियन का कहना है कि कतर 8 भारतीय नागरिकों को फांसी की सजा नहीं देगा. वह भी यह मानते हैं कि भारतीय राजनयिकों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचाने के लिए भारत सरकार के पास इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का रास्ता है. उन्होंने कहा कि भारत के पास सबसे अच्छे दो रास्ते हैं. एक तो यह कि कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से सजा माफ करने के लिए अपील की जाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं कि अगले ही दिन माफी मिल जाए. ऐसा भी हो सकता है कि अपील करने के एक सीमा तय हो कि उतने समय के बाद ही अपील की जा सकती है. या फिर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील की जाए.
क्या आजीवन कारावास में तब्दील हो सकती फांसी की सजा
केपी फैबियन ने बताया कि कुछ साल पहले कतर में फिलीपींस के तीन नागरिकों को जासूसी के मामले में सजा सुनाई गई थी. इनमें से एक को फांसी दी गई थी, वह कतर की पेट्रोलियम कंपनी में काम करता था. वहीं, बाकी नागरिक एयरफोर्स में कार्यरत थे. इन पर आरोप था कि एयरफोर्स में काम कर रहे फिलीपींस के नागरिक कतर से जुड़ी खुफिया जानकारियां तीसरे फिलीपीन नागरिक को भेज रहे थे, जो फिलीपींस को यह इनफोर्मेशन पहुंचा रहा था. इस मामले में फांसी की सजा को आजीवन कारावास और बाकी दो नागरिकों की सजा 25 साल की जेल में तब्दील कर दी गई थी.
कौन हैं सजा पाने वाले 8 भारतीय
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर में मौत की सजा पाने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों के नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश. ये सभी डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर ऑर्गनाइजेशन- दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे. इस निजी फर्म का स्वामित्व रॉयल ओमानी एयर फोर्स के एक रिटायर्ड सदस्य के पास है. यह प्राइवेट फर्म कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराती थी.
इजरायल के लिए जासूसी का आरोप
8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों पर क्या आरोप हैं, इसे लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. पिछले साल 8 अगस्त, 2022 को इन्हें गिरफ्तार किया गया था. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन भारतीय नागरिकों पर आरोप है कि वे इजरायल के लिए जासूसी कर रहे थे और कतर के प्रोजेक्ट्स से जुड़ी जानकारियां इजरायल भेजी जा रही थीं.