रायपुर:- योग आयोग छत्तीसगढ़ शासन रायपुर के तत्वाधान में आज 19 अप्रैल को एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना रायपुर में संपन्न हुआ, जिसमें कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना के डायरेक्टर डॉ राकेश मिश्रा सर प्राचार्या डॉ अर्चना मिश्रा, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष श्रीमान् ज्ञानेश शर्मा जी एवं छत्तीसगढ़ योग आयोग के सचिव श्रीमान् एम. एल. पाण्डेय जी तथा योग आयोग के अधिकारी श्रीमान् रविकांत कुंभकार एवं योग आयोग के प्रशिक्षक श्रीमान् छविराम सर निश्चित रूप से उपस्थित हुए। योग आयोग के अध्यक्ष माननीय श्री ज्ञानेश शर्मा जी ने योग के आवश्यकताओं को बताते हुए कहा कि योग स्वस्थ
जीवन व्यतीत करने को कला तथा विज्ञान है योग करने का मकसद आत्मज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार की शारीरिक
परेशानियों को दूर करना है। योग मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमता को बढ़ाकर आत्मज्ञान की प्राप्ति करवाता है। योग
करने से हमें अच्छी नींद आती है तथा हमारा शरीर स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है, योग से हमें शांति तथा आनंद प्राप्त होता है। योग से
हमारा मस्तिष्क एकाग्रचित होकर काम करता है तथा हमारे मन में अच्छे विचारों का निवास होता है। योग हमारे शरीर को स्वस्थ,
लचीला तथा शक्तिशाली भी बनाए रखता है।
श्रीमान् एम. एल. पाण्डेय सचिव योग आयोग ने बताया बच्चों ने अपने योग से अपने शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने का निर्णय लिया और योग के माध्यम से अपने शरीर को स्वस्थ रखने का संकल्प लिया। अत्यंत हर्ष का विषय आज इस शिविर में यह रहा की छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष माननीय श्री ज्ञानेश शर्मा जी ने तत्काल 50 योग मैट की स्वीकृति कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना को प्रदान किया गया जिसमे विद्यालय की योग शिक्षिकाएं श्रीमति सरोज साहू एवं श्रीमति सत्यभामा शर्मा मैडम जी का इस शिविर में विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम की रूपरेखा और समाचार की जानकारी विद्यालय के पीटीआई प्रताप देवांगन, श्रीमति नीलिमा वर्मा एवं राहुल शर्मा के द्वारा प्राप्त हुई।
डॉ. राकेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया योग शब्द संस्कृत है ‘यूज’ से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना (स्वयं का सर्वश्रेष्ठ या स्वयं के साथ मिलान) और योग मन को आत्मा के साथ जोड़ता है। योग का जन्म सिंधु घाटी की सभ्यता से माना जाता है (इंडस वैली सिविलाइजेशन) वहां की खोज से हमें पता चला है कि वहां के लोग योगाभ्यास करते थे। सिंधु घाटी में जो शारीरिक मुद्राएं और आसन के चित्र मिले थे वह आज के समय में हो रहे योग से काफी भिन्न थे। पश्चिमी विद्वान मानते हैं कि, योग का जन्म 500 ईसवी से पुराना है। उनके अनुसार जब बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया तब से ही योग हो रहा है परंतु हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से हमें ज्ञात हुआ कि योगा 5000 वर्षों के पहले से ही हो रहा था। वैदिक काल में योग को एकाग्रता हासिल करने और सांसारिक मुश्किलों को खत्म करने के लिए किया जाता था। महाभारत तथा भगवत गीता में योग के बारे में कहा गया है कि जिस व्यक्ति में दूसरों के प्रति विनम्रता, श्रद्धा, भावना होती है वह मनुष्य ही एक श्रेष्ठ अवस्था प्राप्त कर सकता है और इस युग में योग को चार भागों में वर्णित किया ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्म योग और राज योग
आज के एक दिवसीय योग शिविर में कमलेश साहू, प्रताप साहू, अंकित ओझा, आशीष दुबे, पवन भट्ट, जे कुमार, सोनिया मसीह एवं स्कूल शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे।