आत्मनिर्भर भारत की डिजिटल ‘सत्ता’ को बूस्टर डोज़ मिलने वाला है. साथ ही ये ख़बर भारत के 140 करोड़ में से उन 120 करोड़ लोगों के लिए भी है, जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यह खबर भारत के स्वदेशी ऑपरेंटिंग सिस्टम से जुड़ी हुई है, जिसके ‘माया’वी चक्रव्यूह को तोड़ना चीन और पाकिस्तान के साथ फिर किसी भी साइबर हैकर्स के लिए नामुमकिन होगा.रक्षा मंत्रालय में ऐसे ही स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम को इंस्टॉल किया जा रहा है.
इसके साथ ही बहुत जल्द आपका इंटरनेट वेब ब्राउज़र बदल सकता है और मुमकिन है कि आप भी जल्द गूगल क्रोम या मोजिला फायरफॉक्स जैसे वेब ब्राउज़र की जगह किसी स्वदेशी वेब ब्राउजर का इस्तेमाल करेंगे.भारत का मायावी चक्रव्यूहभारत के दुश्मन देशों में बैठे ऐसे तमाम हैकर्स हैं, जो आए दिन रक्षा मंत्रालय की सुरक्षा में साइबर सेंध लगाकर संवेदनशील और गोपनीय जानकारी चुराने की नाकाम कोशिश करते हैं.
अब उनके लिए एक और बुरी ख़बर है. सूत्रों के मुताबिक़, रक्षा मंत्रालय के सभी कंप्यूटर्स में ऑपरेटिंग सिस्टम को बदला जा रहा है. ख़बर है कि कंप्यूटर से माइक्रोसॉफ्ट का OS हटाकर स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल किया जा रहा है, जिसका नाम माया है.
इसके अलावा हैकिंग, साइबर हमले रोकने के लिए ‘चक्रव्यूह’ प्रोटेक्शन सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल किया जाएगा. फ़िलहाल 15 अगस्त से पहले रक्षा मंत्रालय के सभी ऐसे कंप्यूटर जो इंटरनेट से जुड़े हैं. उनमें ऑपरेटिंग सिस्टम को बदलने का काम किया जा रहा है और जल्द बाक़ी कंप्यूटर्स को भी नए स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम माया से अपग्रेड किया जाएगा.क्या है माया ऑपरेटिंग सिस्टम?इस OS को रक्षा मंत्रालय की ओर से विकसित किया गया है.
डीआरडीओ, सी-डैक और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र यानी एनआईसी समेत कई सरकारी एजेंसियों के विशेषज्ञों की टीम ने इसके डेवलपमेंट पर काम किया है. साल 2021 में इस स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम माया को बनाने की शुरुआत हुई थी और इसे बनाने में क़रीब 6 महीने का वक्त लगा. इसे ओपन-सोर्स उबंटू प्लेटफॉर्म पर डेवलप किया गया है. लेकिन इसकी कितनी ज़रूरत थी और अब माया ऑपरेटिंग सिस्टम के आने से रक्षा मंत्रालय की साइबर सुरक्षा का चक्रव्यूह कितना अभेद्द हो जाएगा.
आप सब इंटरनेट पर कुछ सर्च करने या देखने के लिए एक वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल करते होंगे. किसी के मोबाइल या लैपटॉप में गूगल क्रोम होगा तो कोई मोजिला फायरफॉक्स वेब ब्राउज़र पर सर्च करता होगा, लेकिन आप सबके लिए अच्छी ख़बर ये है कि अब बहुत जल्द आप आत्मनिर्भर भारत के स्वदेशी इंटरनेट वेब ब्राउज़र का यूज़ कर पाएंगे.
यानी गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की तरह अब अपना भी एक इंटरनेट वेब ब्राउज़र होगा.जल्द लॉन्च होगा भारत का ‘स्वदेशी’ इंटरनेट वेब ब्राउज़रकेंद्र सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और सब कुछ प्लान के मुताबिक़ चला तो जल्द ही बाज़ार में भारत का ‘स्वदेशी’ इंटरनेट वेब ब्राउज़र लॉन्च हो जाएगा. इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक एंड आईटी मिनिस्ट्री की तरफ से इंडियन स्टार्टअप और सॉफ्टवेयर टीम को आमंत्रित किया गया है और इंटरनेट वेब ब्राउज़र को डिज़ाइन करने और बनाने में मदद करने का ऐलान किया है, जिसका प्लान सबसे बेहतर होगा.
उसे सरकार स्वदेशी वेब ब्राउज़र बनाने के लिए 3 करोड़ 40 लाख रुपए की फंडिंग करेगी.इसके बाद वेब ब्राउंज़र को सिक्योरिटी सर्टिफिकेट दिया जाएगा और इसी के बाद ये आपके मोबाइल, लैपटॉप या टैबलैट तक पहुंच पाएगा. माना जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया के बाद स्वदेशी वेब ब्राउज़र साल 2024 के अंत तक लॉन्च हो सकता है.क्यों पड़ी इसकी जरूरत?मगर आपके मन में ये सवाल भी होगा कि जब गूगल, माइक्रोसॉफ्ट एज और फायर फॉक्स जैसे वेब ब्राउज़र हैं तो आखिर इसकी ज़रूरत क्यों है. इसकी एक बहुत गंभीर वजह है, जो आपकी सुरक्षा से जुड़ी हुई है.
दरअसल, सारे इंटरनेट वेब ब्राउज़र के रूट स्टोर होते हैं, जिन्हें ट्रस्ट स्टोर भी कहा जाता है. ट्रस्ट स्टोर में सिक्योरिटी सर्टिफिकेट देने वाली एजेंसियों की एक लिस्ट होती है जो ये बताती हैं कि सिस्टम और ऐप्लीकेशन आपके लिए सुरक्षित हैं या नहीं.चिंता की बात ये है मौजूदा वेब ब्राउज़र्स के रूट स्टोर यानी सिक्योरिटी चेक की व्यवस्था में एक भी भारतीय एजेंसी को नहीं शामिल किया जाता है. सारी विदेशी कंपनियां ही मौजूद हैं. इसीलिए भारत अब इस सत्ता और सोच को चुनौती देने के लिए अपना खुद का इंटरनेट वेब ब्राउजर बना रहा है.
इसके बन जाने से विदेशी वेब ब्राउज़र पर निर्भरता ख़त्म हो जाएगी, जहां सिक्योरिटी पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है.किस वेब ब्राउज़र के कितने प्रतिशत यूज़र?अब हम आपको ये भी बताते हैं भारत में सबसे ज़्यादा किस वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जाता है और इस सत्ता को खत्म करना भारत के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगा.भारत में सबसे ज़्यादा यूज़र गूगल क्रोम वेब ब्राउंज़र के हैं. भारत में 90 फीसद से ज़्यादा लोग गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते हैं.इसके बाद दूसरे सबसे ज़्यादा यूज़र्स मोजिला फॉयरफॉक्स के हैं.
जिस पर 3.64% लोग काम करते हैं.इसके बाद 3.48 प्रतिशत भारतीय माइक्रोसॉफ्ट एज वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल करते हैं.इसके अलावा एपल सफारी जिसे सबसे ज़्यादा सुरक्षित वेब ब्राउंज़र माना जाता है. उसका इस्तेमाल सिर्फ 1 प्रतिशत भारतीय ही करते हैं.पहला वेब ब्राउज़र किसने बनाया?वो साल 1991 था, जब टिन बर्नर ली ने पहला वेब ब्राउज़र बनाया. पहले वेब ब्राउज़र का नाम वर्ल्ड वाइड वेब था, जो मौजूदा वक्त में इंटरनेट का स्वरूप है.