आज 21 अगस्त को सावन सोमवार व्रत के साथ ही नाग पंचमी भी मनाई जा रही है. कई लोग नाग पंचमी के दिन व्रत-उपवास करते हैं. हिंदू धर्म में नागों को भी पूजनीय स्थान दिया गया है और नाग पंचमी के दिन नाग देवता का पूरे विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है.
कहते हैं कि जो भी जातक नाग पंचती के दिन नाग देवता का पूजन करता है उसके जीवन में सांपों से जुड़ा कोई डर या भय कभी नहीं सताता. खासतौर पर जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें नाग पंचमी के दिन पूजा जरूर करनी चाहिए. इससे कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है और भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर आप नाग पंचमी के दिन व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दिन यह कथा जरूर पढ़ें. कहते हैं कि बिना कथा पढ़े कोई भी व्रत पूरा नहीं होता.
नाग पंचमी व्रत कथा
नाग पंचमी के दिन नाग देवता का पूजन किया जाता है और कहते हैं कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में प्राचीन काल से मनाया जा रहा हे और इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. महाभारत काल में शमीक मुनि के शाप की वजह से तक्षक नाग ने राजा परीक्षित का डस लिया था.
पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सभी सर्पों का नाश करने के लिए सर्पेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ के प्रभाव से संसार के समस्त नाग-नागित स्वंय ही अग्निकुंड की ओर खींचे चले जा रहे थे. धीरे-धीरे सभी सर्प भस्म होने लगे. नागों ने अपने संरक्षण के लिए ऋषि आस्तिक मुनि से प्रार्थना की.
जिसके बाद आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को समाप्त कर नागों के प्राण बचाए थे. आस्तिक मुनि सर्पो से यह वचन लिया था कि वह उस जगह पर कभी प्रवेश नहीं करेंगे जहां आस्तिक मुनि का नाम लिखा होगा. इसी परंपरा के चलते कई लोग अपने घरों के बाहर आज भी आस्तिक मुनि का नाम लिखते हैं.