नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से बेकाबू होते हालात के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश हर राज्य पर लागू होता है और यह केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे पटाखों का हानिकारक असर तो पूरे देश में होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में वायु और ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पारंपरिक पटाखों को फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अदालत ने पराली जलाने की घटनाओं पर मौसम विज्ञान विभाग से भी जवाब मांगा, क्योंकि अदालत को बताया गया था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के कारण राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ने पर अपने पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा।पीठ ने कहा- पटाखों के हानिकारक प्रभावों के बारे में आम लोगों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है। विडंबना यह है कि आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं फोड़ते हैं, लेकिन बुजुर्ग और युवा ऐसा करते हैं। यह गलत धारणा है कि प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण पर संज्ञान लेना अदालत का कर्तव्य है। स्वच्छ पर्यावरण पर आम लोगों को आगे आना होगा। वायु और ध्वनि प्रदूषण का प्रबंधन करना हर किसी का काम है। शीर्ष अदालत पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक लंबित याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
आवेदन में राजस्थान सरकार को वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए कदम उठाने और दिवाली, शादियों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है। पीठ ने आवेदन को लंबित रखते हुए कहा- आवेदन में कोई विशेष आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अदालत पहले ही वायु और ध्वनि प्रदूषकों की जांच के लिए कई आदेश पारित कर चुकी है। उक्त आदेश हर राज्य के लिए बाध्यकारी हैं। सरकारों को न केवल त्योहारी सीजन के दौरान वरन उसके बाद भी इस पर ध्यान देना चाहिए।