हिंदू ग्रंथों में ब्राह्मण हत्या को महापाप माना गया है, पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम ने रावण का वध किया तब वह स्वयं को ब्रह्म हत्या को दोषी मानने लगे थे. भगवान राम ने स्वयं पर लगे इस दोष से मुक्ति पाने और ब्रह्महत्या का पाप धोने के लिए जिस सरोवर में डुबकी लगाई थी, लोग आज भी उस स्थान पर जाकर स्नान करते हैं. मान्यता यह है कि यहां स्नान करने से हर पाप से मुक्ति मिल जाती है.यहां रामजी ने धोया ब्रह्महत्या का दोषउत्तर प्रदेश के लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर दूर हरदोई के पास नैमिशरण परिक्रमा क्षेत्र में हत्याहरण तीर्थ सरोवर है.
मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस सरोवर से जुड़ी बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं, जिसकी एक मुख्य कथा भगवान राम से जुड़ी है.ब्राह्मण कुल में जन्मा था रावणआखिर रावण को मारने से भगवान राम पर ब्रह्महत्या का दोष कैसे आ सकता था, उसका मुख्य कारण यह है कि रावण का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ था. रावण के पिता का नाम विश्रवा था जो ऋषि पुलस्त्य के पुत्र थे.
रावण की माता कैकसी थी जो राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता का पुत्र था. रावण कई विद्याएं, वेद, पुराण, नीति, दर्शनशास्त्र, इंद्रजाल आदि में पारंगत होने के साथ उसके अंदर राक्षसी प्रवृत्तियां भी थीं.सरोवर से जुड़ी है कुछ अन्य कथाएंहत्याहरण तीर्थ सरोवर से जुड़ी और भी बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं,जिसमें भगवान राम के साथ भगवान शिव और माता पार्वती से भी जुड़ी एक कहानी प्रसिद्ध है कि एक दिन भगवान शिव एकांत की तलाश में यहां आकर तपस्या करने लगे थे. तपस्या के बीच माता पर्वती को प्यास लगी तो उन्हें कहीं पानी न मिला तब सूर्यदेव ने उन्हे कठमंडल से जल दिया जिसको पीने के बाद माता ने बचे हुए जल को जमीन पर गिरा दिया, उस पवित्र जल से एक कुंड का निर्माण हुआ और जाते वक्त भगवान शंकर ने इस स्थान का नाम प्रभास्कर क्षेत्र रखा.