नई दिल्ली:- रूमेटाइड अर्थराइटिस बहुत ही दर्दनाक बीमारी है. यह इंफ्लामेटरी क्रोनिक बीमारी है जिसमें ज्वाइंट में बहुत ज्यादा सूजन हो जाती है. अगर बीमारी गंभीर है तो बॉडी के कई अंग प्रभावित होते हैं. इसमें स्किन, आंखें, लंग्स और हार्ट पर भी असर करता है. रूमेटाइटिस अर्थराइटिस सामान्य अर्थराइटिस से अलग बीमारी है. इसमें ज्वाइंट की लाइनिंग प्रभावित होती है. रूमेटाइड अर्थराइटिस ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें गलती से शरीर का अपना इम्यून सिस्टम ही अपने ही शरीर के टिशू पर हमला बोल देता है. इसमें ज्वाइंट में सूजन बनने लगती है जो बेहद दर्द देती है. यह दर्द पूरे शरीर को असहाय कर देता है. अगर इसका इलाज न किया जाए तो कुछ ही दिनों में हड्डियां से रिसाव होने लगता है ज्वाइंट में विकृति आने लगती है.
रूमेटाइटिस अर्थराइटिस के लक्षण
मायो क्लिनिक के मुताबिक, रूमेटाइड अर्थराइटिस में एक से अधिक जोड़ों में दर्द होता है. इसमें ज्वाइंट में स्टीफनेस या अकड़न होने लगता है. यह सुबह या बहुत देर तक बैठने में और अधिक परेशान करता है. इससे बहुत अधिक थकान होने लगती है और बुखार भी लग जाता है. इसमें भूख भी नहीं लगती है. कुछ लोगों में ज्वाइंट में दर्द न होकर पूरे शरीर में दर्द होता है. जब यह बीमारी बढ़ती है तब यह कलाई, घुटने, कोहनी, हिप्स और शोल्डर को प्रभावित करती है. यह बीमारी हार्ट, लंग्स, किडनी, आंखें, स्किन, नर्व टिशू, हड्डियां और ब्लड वेसल्स को भी प्रभावित कर सकती है.
किसे है ज्यादा खतरा
रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा है. जिनके परिवार में पहले से यह बीमारी किसी को है, उन्हें रूमेटाइटिस अर्थराइटिस होने का ज्यादा खतरा रहता है. वहीं स्मोकिंग करने वालों को भी इसका ज्यादा जोखिम. जो महिलाएं बच्चा नहीं करती है, उसे भी इसका खतरा ज्यादा रहता है. वहीं ज्यादा वजन वाले लोग भी इसकी जद में रहते हैं.
रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का इलाज और बचाव
रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी की गंभीरता कितनी है. अगर शुरुआती दौर में है तो इसका इलाज किया जा सकता है. इन सबके बावजूद यह बीमारी हो ही नहीं, इसके लिए प्रयास करना चाहिए. जो महिलाएं अपने बच्चों को दूध सही समय तक पिलाती है, उसे इस बीमारी का खतरा कम होता है. इसके साथ ही स्मोकिंग न करने और वजन पर कंट्रोल करने से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है. जिनके परिवार में यह बीमारी है उसे नियमित तौर पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. नियमित एक्सरसाइज भी इस बीमारी को दूर रखने में मददगार है.