जब भी आप नया घर खरीदने का सोचते हैं तो घर की कीमत, लोकेशन, बिल्डर, लोन आदि कई चीजों के बारे में जांच पड़ताल करते हैं. कई बार पैसों की दिक्कत या प्राइम लोकेशन, अच्छी डील के चलते लोग रीसेल होम खरीदना एक बेहतर विकल्प समझते हैं. रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने का एक फायदा यह भी है कि आपको घर में रहने आने के लिए निर्माण पूरा होने तक इंतजार नहीं करना पड़ता और आप अपनी पसंदीदा लोकेशन पर प्रॉपर्टी का तुरंत पजेशन मिलने का आनंद ले सकते हैं.रियल एस्टेट के जानकार बताते हैं कि कई मौकों पर पुराना घर खरीदना फायदे का सौदा हो जाता है. हालांकि सभी जानकार इस बात की हिदायत जरूरत देते हैं कि पुराना घर खरीदते समय कई चीजों जांच कर लेना चाहिए. जिसमें सबसे जरूरी होता है वो है प्रॉपर्टी एज. यानी उस बिल्डिंग की कितनी आयु है.क्या है प्रॉपर्टी की उम्र
प्रॉपर्टी की उम्र यानी घर कितना पुराना है और अब उसकी लाइफ कितनी बची है. आपको बहुत पुरानी प्रॉपर्टी (जिसकी उम्र 50 वर्ष या अधिक हो) खरीदने से बचना चाहिए क्योंकि इमारत में संरचना संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और उसे बड़ी मरम्मतों की, नवीकरण की, या कुछ मामलों में तो दोबारा बनवाने की जरूरत पड़ सकती है. यदि इमारत के नवीकरण या उसे दोबारा बनवाने के लिए आपको लंबे समय तक किराए के घर में रहना पड़ा, तो यह आपके लिए असुविधाजनक होगा और आपको घर बदलने या रेंट एग्रीमेंट बार-बार रिन्यू कराने का झंझट झेलना पड़ेगा.
फ्लैट और इंडेपेंडेंट हाउस की अलग होती है उम्रआम तौर पर किसी कंक्रीट स्ट्रक्चर की औसत उम्र 75 से 100 साल मानी जाती है. यह कई कारकों पर निर्भर करती है. सामान्य तौर पर अपार्टमेंट की लाइफ 50-60 साल, जबकि जमीन पर बने मकान की उम्र इससे ज्यादा होती है. इसी कारण से रीसेल फ्लैट की कीमत मकान से कम होती है. कोई भी प्रॉपर्टी जैसे-जैसे पुरानी होती जाती है, उसकी कीमत भी घटती जाती है. फ्लैट की कीमत मकान की अपेक्षा तेजी से घटती है.
लेने से पहले चीजों की जरूरे करें जांचप्रॉपर्टी खरीदने से पहले उचित पड़ताल जरूर करें और प्रॉपर्टी के असल डॉक्यूमेंट देखने पर जोर दें. आपको यह जांच लेना चाहिए कि प्रॉपर्टी पर कोई मौजूदा लोन तो नहीं है, जिसके तहत लेंडर को कोई देय राशि बकाया होती है. यदि आप अपनी रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए खुद होम लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं, तो आप अपने खुद के लेंडर के साथ डॉक्यूमेंट की ठीक से जांच कर लें. रीसेल प्रॉपर्टी खरीदते समय, आपको ट्रांसफर और रजिस्ट्रेशन फीस चुकानी होगी. कुछ अधिकार क्षेत्रों में, यह फीस एक बड़ी रकम हो सकती है और रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने के लाभ को शून्य कर सकती है.प्रॉपर्टी खरीदने से पहले चेक कर लें ये डॉक्यूमेंट्स- 1. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले विक्रेता के टाइटल और ओनरशिप का वेरिफिकेशन करना बेहद जरूरी है.
. यानी किसको कहां से मिली इन सबका हवाला होना चाहिए.3. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट: यह सर्टिफिकेट आपको बताता है कि जिस प्रॉपर्टी को खरीद रहे हैं उस पर कोई मोर्टगेज, बैंक लोन या कोई टैक्स तो बकाया नहीं है. इसके अलावा कोई पेनाल्टी तो नहीं है इसकी जानकारी मिलती है. इसके अलावा रजिस्ट्रार के ऑफिस जाकर आप फॉर्म नंबर 22 भरकर जानकारी जुटा सकते हैं.4. ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट: अऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट एक अहम दस्तावेज है, जिसे बिल्डर से जरूर लेना चाहिए. अगर वह इसे नहीं देता तो खरीददारों को यह अधिकार है कि वह डिवेलपर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें
.5. पजेशन लेटर: डिवेलपर खरीददार के हक में पजेशन लेटर जारी करता है, जिसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख लिखी होती है. होम लोन पाने के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी को पेश करना जरूरी होता है. जब तक ओसी हासिल नहीं किया जाएगा, तब तक पोजेशन लेटर अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए काफी नहीं माना जा सकता.
6. मॉर्गेज : मॉर्गेज (Mortgage) या गिरवी रखना एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग उधारकर्ता किसी मकान की खरीद या रखरखाव करने के लिए या रियल एस्टेट के अन्य रूपों में करता है. साथ ही समय के साथ इसका भुगतान करने पर सहमति जताता है. प्रॉपर्टी, लोन सिक्योर करने में कोलैटरल के रूप में काम करती है.7. टैक्स पेमेंट का स्टेटस चेक करें: प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाने से संपत्ति पर शुल्क लगता है, जिससे उसकी मार्केट वैल्यू पर असर पड़ता है.