नई दिल्ली:- बदलती जीवनशैली में स्वास्थ्य समस्याएं जिस तेजी से बढ़ रही हैं, उसके कारण एक बार फिर से लोगों में आयुर्वेद की तरफ रूझान बढ़ा है। दरअसल, अंग्रेजी दवाओं के ऊपर निर्भरता सेहत के लिए जहां काफी हद तक नुकसानदेह साबित होती है, वहीं आयुर्वेद सुरक्षित चिकित्सा विधि मानी जाती है। इसके साथ ही आयुर्वेद न सिर्फ रोग विशेष के उपचार की बात करता है बल्कि यह अपने आप में एक स्वस्थ जीवनशैली है, जो लोगों को बीमारियों से बचने का मार्ग भी दिखाता है। ऐसे में आयुर्वेद की महत्ता समझते हुए हम अपने रीडर्स के लिए खास सीरीज ‘आयुर्वेद से जानें’ लेकर आए हैं।
इस सीरीज में हम उन वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में लोग आमतौर पर अंजान होते हैं। इसके साथ ही आयुर्वेद के विद्वानों और प्रशिक्षकों से मिली जानकारी के आधार पर प्रचलित बीमारियों के आयुर्वेदिक उपचार भी बताएंगे। इस सीरीज के तहत आज इस आर्टिकल में हम आपको कनेर के फूल के औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं। दरअसल, हमने इस बारे में गाजियाबाद के आयुर्वेदिक डॉक्टर वी के सिंह से बात-चीत की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
डॉक्टर वी के सिंह कहते हैं कि आयुर्वेद, हमारी 4000 साल पुरानी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें वनस्पतियों और प्राकृतिक चीजों के जरिए दुर्लभ बीमारियों का इलाज उपलब्ध है। असल में प्रकृति पर आधारित इस चिकित्सा विधि में वनस्पतियों और प्राकृतिक चीजों के औषधीय गुणों के जरिए स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार किया जाता है। डॉक्टर वी के सिंह के अनुसार, पीले रंग के कनेर के फूल को आयुर्वेद में पीत करवीर या दिव्य-फूल के रूप में जानते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह फूल अपने आप में चमत्कारी औषधि है, वहीं इसकी छाल और पत्तियां भी सेहत के लिए काफी लाभकारी होती हैं। इनका प्रयोग जोड़ों के दर्द से लेकर त्वचा की समस्या में आराम देता है। चलिए कनेर के फूल के औषधीय गुणों और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में जरा विस्तार से समझते हैं।
खुजली और दाद के रोकथाम में मददगार
कनेर के फूल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण यह खुजली, दाद और दूसरी त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत दिलाने में मददगार साबित होता है। इसके इस्तेमाल के लिए आप कनेर के ताजा फूलों को पीसे लें और उसे नारियल तेल में मिलाकर संक्रमित त्वचा पर लगाएं। इसके अलावा आप कनेर के फूल को नारियल तेल में पकाकर उसे भी लगा सकते हैं। दोनो ही तरह से यह त्वचा के लिए लाभकारी होता है, इससे काफी हद तक दाद और खुजली की समस्या से निजात मिल सकती है।
मुहांसों और त्वचा संबंधी रोगों से निजात
एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण कनेर के फूल का इस्तेमाल मुहांसों और त्वचा संबंधी रोगों से निजात दिलाने में भी काफी हद तक सहायक होता है। इसके लिए आप कनेर के फूलों को पीसकर उस लेप को चेहरे पर जगह लगाएं।
पीरियड के दर्द से राहत दिलाने में सहायक
कनेर का फूल, पीरियड में होने वाले असहनीय दर्द को कम करने में भी सहायक होता है। इसके लिए आप कनेर के ताजा फूलों का काढ़ा बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से काफी हद पीरियड के दर्द में राहत मिल सकती है।
जोड़ों के दर्द से निजात दिलाने में मददगार
जिन लोगों को सर्दियों में जोड़ों का दर्द सताता है, उनके लिए कनेर की पत्तिया काफी लाभकारी हो सकती हैं। हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार, कनेर की पत्तियों को पीस कर उन्हें जैतून के तेल में मिलाकर जोड़ों पर मसाज करनी चाहिए। ऐसा करने से काफी हद तक जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
मलेरिया से राहत दिलाने में असरदार
कनेर की छाल में ज्वरनाशक गुण पाए जाते हैं, ऐसे में मलेरिया जैसे बुखार में इसका प्रयोग काफी हद तक राहत दिलाने में असरदार होता है। इसके लिए कनेर के छाल को पीस कर उसका काढ़ा बनाकर रोगी को सेवन के लिए दिया जाता है।
हेयर फॉल को नियंत्रित करने में सहायक
बाल झड़ने की समस्या से परेशान लोगों के लिए भी कनेर का फूल चमत्कारी औषधि का काम करता है। इसके प्रयोग के लिए आपको कनेर के ताजा फूलों को उबाल कर उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो इससे आप अपने धो लें। ऐसा आपको नियमित रूप से एक सप्ताह के लिए करना है, अगर सप्ताह भर के अंदर इसका कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आता है और इससे बालों के झड़ने पर नियंत्रण मिलता दिखता है। तो फिर इस प्रयोग को आगे तब तक के लिए जारी रखें जब तक कि इस समस्या से पूरी तरह से राहत नहीं मिल जाती है।
ऊपर बताए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले आप आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें, क्योंकि बहुत सारे लोगों को स्किन एलर्जी की समस्या हो सकती है। वहीं कनेर के फूल में पाए जाने वाले कुछ कम्पाउंड के कारण इसका सेवन हानिकारक भी हो सकता है, जिससे सिरदर्द, उल्टी और हाइपरकेलेमिया की स्थिति बन सकती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप किसी आयुर्वेद प्रशिक्षक की देख-रेख में ही इन उपायों का इस्तेमाल करें।