वैज्ञानिकोंं ने डायबिटीज के मरीजों के लिए एक खास तरह की चाॅकलेट विकसित की है. यह ऐसी चाॅकलेट है जो शरीर में इंसुलिन की जरूरतों को पूरा करेगी. UIT आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी ने साथ मिलकर इसे तैयार किया है.दुनियाभर में 42.5 करोड़ लोग डायबिटीज से परेशान हैं. इनमें से 7 करोड़ से ज्यादा रोगी रोज इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं. लेकिन अब डायबिटीज से निपटने का एक क्रांतिकारी तरीका विकसित किया गया है. ऐसी दवा बनाई गई है जिससे बिना इंजेक्शन के दर्द से डायबिटीज के इलाज में मदद मिलेगी. जानिए कैसे काम करेगी यह इंसुलिन चॉकलेट.डायबिटीज वाली चाॅकलेट के अंदर क्या है?सिडनी और नॉर्वे यूनिवर्सिटी की यह रिसर्च Nature Nanotechnology जर्नल में प्रकाशित हुई है. रिसर्च के मुताबिक, डायबिटीज के रोगी अब चाॅकलेट या कैप्सूल लेकर भी इंसुलिन की कमी को पूरा कर सकते हैं. इस चाॅकलेट में इंसानों के बालों से भी बारीक साइज के नैनो-कैरियर हैं, जिनमें इंसुलिन है.
जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, तो हमारे खून में मौजूद शुगर प्रोसेस नहीं हो पाती. सेल्स में जाने की बजाय वो शुगर ब्लड में रह जाती है. इसे ही डाॅक्टर डायबिटीज की बीमारी बताते हैं. वैज्ञानिकों की बनाई गई नई चाॅकलेट शरीर में इंसुलिन के संतुलन को सुधारने काम करेगी.कैसे काम करते हैं चाॅकलेट के नैनो-कैरियर?नैनो-कैरियर के आइडिया पर काफी समय से विचार चल रहा था. इसमें एक बड़ी दिक्कत यह थी कि इंसुलिन के नैनो-कैरियर पेट के एसिड के संपर्क में आने से टूट जाएंगे और अपने तय टारगेट पॉइंट पर नहीं पहुंच पाएंगे. लेकिन अब इसका हल निकाल लिया गया है.
यूआईटी आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे में प्रोफेसर पीटर मैककोर्ट कहते हैं, ‘हमने एक ऐसी कोटिंग बनाई है जो इंसुलिन को पेट के एसिड में टूटने से बचाएगी और इंसुलिन को उसके टारगेट पॉइंट, मुख्य रूप से लीवर, तक पहुंचने तक सुरक्षित रखती है.’जब ब्लड शुगर लेवल बढ़ेगा, तो खाने का पचाने वाले एंजाइम सक्रिय होंगे और उस कोटिंग को तोड़ देंगे. कोटिंग के टूटने से इंसुलिन निकलेगा जो खून से शुगर को बाहर करने का काम करेगा. इस तरह शुगर बढ़ने पर अपने आप शरीर में इंसुलिन बन जाया करेगा.
क्या इंजेक्शन लेने से बेहतर है चाॅकलेट खाना?एक वाजिब सवाल मन में उठता है कि क्या इंसुलिन चाॅकलेट वर्तमान के इंजेक्शन के तरीके से बेहतर है. इस पर प्रोफेसर पीटर मैककोर्ट बताते हैं, ‘इंसुलिन लेने का यह तरीका ज्यादा सटीक है क्योंकि यह शरीर के उन हिस्सों में तेजी से इंसुलिन पहुंचाता है जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है.’ उन्होंने कहा कि इंजेक्शन के जरिए इंसुलिन लेते से वो पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे साइड इफेक्ट हो सकते हैं.वैज्ञानिकों ने बताया कि यह डायबिटीज को मैनेज करने का सबसे व्यवहारिक तरीका है, जो रोगी के लिए भी अच्छा रहता है.
दावा किया जा रहा है कि इससे जरूरत के हिसाब से इंसुलिन को कंट्रोल किया जा सकेगा, जबकि इंजेक्शन में इंसुलिन एक ही बार में रिलीज हो जाता है. इस तरह इंसुलिन से भरी चाॅकलेट खाने से जोखिम को घटाया जा सकता है.कब तक बन जाएगी चाॅकलेट?इंसुलिन चाॅकलेट के टेस्ट अभी तक जानवरों पर किए गए हैं. आखिरी बार बबून पर इसका टेस्ट हुआ है. टेस्ट में अच्छे परिणाम आए हैं और 20 बबून के ब्लड शुगर में गिरावट दर्ज हुई है.
इस शुगर-फ्री चाॅकलेट को डायबिटीज वाले चूहों पर भी टेस्ट किया गया. उनमें भी सकारात्मक असर देखा गया. शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अब तक कोई भी साइड इफेक्ट नहीं देखा गया.