नई दिल्ली:- एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 14 साल के एक लड़का ऑनलाइन गेम खेलने का इतना आदी था कि जब उसके पिता ने वाईफाई बंद करने की कोशिश की तो उसने उनकी नाक तोड़ दी। इसके अलावा एक 16 साल की लड़की ने ऑनलाइन बुलिंग से परेशान होकर खुद को चोट पहुंचा ली। एक 12 साल का लड़का ऑनलाइन गेम छोड़ना नहीं चाहता था, इसलिए वो स्कूल जाने से ही इनकार कर गया और पढ़ाई छोड़ दी। एक 28 साल का आदमी ऑनलाइन जुआ खेलने और गलत चीजों वाली वेबसाइट्स देखने में इतना डूब गया कि उसने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने घर का सामान बेचकर और अपने माता-पिता के बैंक खाते से चोरी करके भी अपनी लत को पूरा करने लगा। ये सारे मामले एम्स लत संबंधी क्लिनिक के हैं, जो बताते हैं इंटरनेट की लत उतनी ही असली और खतरनाक है जितनी शराब, तंबाकू या ड्रग्स की लत होती है।
स्टडी बताते हैं कि 15-16 साल के बच्चे इंटरनेट की लत के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं, इसलिए एम्स का ये क्लिनिक नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के साथ मिलकर अगले महीने सीबीएसई स्कूलों में साइबर जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। एम्स द्वारा बनाया गया ये कार्यक्रम साइबर सुरक्षा और डिजिटल सेहत पर ध्यान देगा। इसका मकसद शिक्षकों को यह सिखाना है कि वे कैसे बच्चों को सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करने में मदद कर सकते हैं।
एम्स के नेशनल ड्रग डिडेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के प्रोफेसर ऑफ साइकियाट्री यतन पाल सिंह बलहारा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को इलाज के बारे में बताया कि ‘मरीज और उनकी देखभाल करने वालों का पूरा एनालिसिस किया जाता है। इसके बाद बीमारी का पता लगाया जाता है। कुछ मामलों में ये मानसिक बीमारी मानी जाती है, तो कुछ में शराब या घबराहट जैसी दूसरी मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इलाज में आमतौर पर दवाइयां और थैरेपी दोनों शामिल होते हैं। दवाइयों से इस चीज की तलब को कम किया जाता है और दवा बंद करने के बाद होने वाली परेशानियों को दूर किया जाता है, वहीं थैरेपी से घबराहट जैसी समस्याओं और मुश्किलों से लड़ने के तरीकों को सिखाया जाता है।’
इंटरनेट की लत के शरीर पर भी कई बुरे असर होते हैं, जैसे आंखों में सूखापन, माइग्रेन, कमर दर्द, बेवक्त खाना, नींद न आना, साफ-सफाई में कमी और हाथ की कलाई में दर्द । लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी ये लत परिवार में रिश्तों को खराब करती है। घर में लड़ाई-झगड़े होना आम हो जाता है।