नई दिल्ली:- राम नवमी से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस ने वोट बैंक को साधने के लिए अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराया था। उन्होंने एएनआइ के साथ विशेष साक्षात्कार में सनातन से लेकर चुनावी बांड और ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाले विपक्ष के आरोपों पर भी हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस से यह सवाल भी किया कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि उसने सनातन धर्म के विरुद्ध घृणा और जहर उगलने वाली द्रमुक के साथ गठबंधन किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे का समाधान देश के बंटवारे के वक्त किया जा सकता था, उसके बाद अदालत में मामला निपट सकता था, लेकिन इस मुद्दे का वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।
कांग्रेस को गर्व होना चाहिए था कि मंदिर के लिए संघर्ष करने वालों ने उसके सभी पापों को भुलाकर आमंत्रित किया था, लेकिन वोट बैंक ने उसे असहाय बना दिया और उसने आमंत्रण ठुकरा दिया। मोदी ने कहा कि जब संविधान बनाया गया था तो उसके हर पेज की पेंटिंग सनातन की परंपरा से जुड़ी हुई थी। उस संविधान में सनातन सरकार का अंग था। आज अगर कोई सनातन को अपशब्द कहने की हिम्मत करता है और आप उसके साथ राजनीति करते हैं तो यह देश के लिए चिंता का विषय है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद की गई चुनावी बांड योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष इस बारे झूठ फैला रहा है। इस योजना को सफलता की एक कहानी के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि इसी योजना के कारण पता चल सका कि राजनीतिक दलों को किसने चंदा दिया। हमने कभी नहीं कहा कि निर्णय लेने में कोई खामी नहीं थी।
इसमें भी सुधार की काफी गुंजाइश थी। लेकिन अब देश को पूरी तरह चुनावों में कालेधन के दौर में धकेल दिया गया है। जब भी इस संबंध में ईमानदारी से सोचा जाएगा तो हर कोई पछताएगा। मोदी ने कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई के बाद जिन 16 कंपनियों ने चंदा दिया था, उस चंदे में से सिर्फ 37 प्रतिशत भाजपा को और 63 प्रतिशत भाजपा के विरोधी दलों को मिला था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब चुनावी बांड योजना से संबंधित विधेयक को संसद में पारित किया गया था तो आज इस पर टिप्पणी करने वाले कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने 1,000 और 2,000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान बड़ी मात्रा में इन नोटों को ले जाया गया था। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि कालाधन खत्म हो।
भाजपा सरकार द्वारा जेले भेज जाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ईडी द्वारा दर्ज तीन प्रतिशत केस ही राजनेताओं के खिलाफ हैं और 97 प्रतिशत मामले उन लोगों या कंपनियों के विरुद्ध हैं जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इन लोगों में ड्रग्स माफिया व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले ईडी ने सिर्फ 5,000 करोड़ की संपत्तियां जब्त की थीं, लेकिन उनके कार्यकाल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियां जब्त हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ईमानदार व्यक्ति को कोई डर नहीं है, लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को अपने पाप का डर है। भ्रष्टाचार ने देश को नष्ट कर दिया है और इससे पूरी ताकत से निपटना होगा। यह उनकी निजी प्रतिबद्धता है।