नई दिल्ली:- हर 5 में से एक महिला प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद किसी न किसी प्रकार के मेंटल हेल्थ संबंधित स्थिति से गुजरती है। एक महिला सिर्फ प्रेग्नेंसी ही नहीं, बल्कि बच्चे के जन्म के बाद भी कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती हैं। ऐसे में कई बार वह खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम तक उठा लेती हैं। इसलिए जरूरी है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं में होने वाले इन मानसिक बदलावों का ध्यान रखा जाए और उन्हें ठीक होने में मदद की जाए, ताकि वह खुद को इस समस्या से बाहर निकाल सकें।
पोस्टपार्टम मेंटल हेल्थ स्थितियां कुछ इस प्रकार की हो सकती हैं
एंग्जायटी
डिप्रेशन
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर
बाई पोलर डिसऑर्डर
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
साइकोसिस
बच्चे के जन्म के बाद जरूरी नहीं है कि हर मां को खुशी महसूस हो। डिलीवरी के बाद एक महिला कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है। उनके शरीर में चल रहे कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव जरूरी नहीं है कि उन्हें अच्छा महसूस कराएं। ऊपर से बढ़ी हुई जिम्मेदारी, काम का बोझ, शारीरिक कमजोरी और बहुत सारे न दिखने वाले मानसिक तनाव से एक महिला हर समय गुजरती रहती है। इससे उनकी पोस्टपार्टम हेल्थ प्रभावित होती है।
मूडी रहना
अपसेट होना
गिल्टी और शर्म महसूस होना
अधिक या कम खाना
अधिक या कम सोना
थकान
रोने की तीव्र इच्छा
किसी भी काम में दिलचस्पी न लेना
हर समय नेगेटिव विचार आना
ओवरथिंकिंग करना
ऐसे करें पोस्टपार्टम डिप्रेशन से डील
ऐसी महिलाओं को अपने सेहत के लिए खुद कदम आगे बढ़ाना चाहिए, जिससे वे अपने साथ अपने बच्चे के भविष्य की भी सुरक्षा कर सकें। आइए जानते हैं कि ऐसे में क्या महिलाओं को करना चाहिए-
अपनी मां या फिर किसी अनुभवी करीबी इंसान से अपनी भावनाएं शेयर करें। वे आपको ऐसी स्थिति से निपटने के अनुभवी तरीके बता सकती हैं।
पार्टनर से निसंकोच मदद लें। घर के काम हो या फिर बच्चे के काम, अपनी सेल्फ केयर को ध्यान में रखते हुए अपने पार्टनर से जरूरी मदद लें।
केयरटेकर की मदद लें। या फिर घर के अन्य काम के लिए किसी हाउसहेल्प की मदद लें जिससे आपके काम का बोझ हल्का हो और आप मात्र अपने और अपने बच्चे के बारे में सोच सकें
पुराने खास दोस्तों से बात करें। लेकिन ऐसे लोगों से बात न करें जो आपके ऊपर तरस खाने जैसी बातें करें। ऐसे दोस्तों से बात करें जो आपको खूब हंसाएं और कुछ देर के लिए आपको अपने बचपन में ले जाएं।