रायपुर:- फिट रहने का जुनून कहीं आपको दिल का मरीज तो नहीं बना रहा है. फिटनेस की सोच-सोचकर कहीं दिमाग में डिप्रेशन तो नहीं पैदा कर रहे हैं. ये सवाल इसलिए क्योंकि आजकल कई युवा इस चक्कर में हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. पिछले कुछ समय में कई ऐसे हाई प्रोफाइल केस भी देखने को मिले हैं, जिसमें जिम में वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक आने से मौत हो गई.
ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या जवानी के जोश में क्षमता से ज्यादा वर्कआउट करना हार्ट अटैक या दिल की दूसरी बीमारियों को न्योता देना है, क्या फिट रहने की सोचते रहना डिप्रेशन के लक्षण हैं, आखिर कब और कितनी देर तक एक्सरसाइज करना चाहिए. जानिए ऐसे ही सवालों के जवाब…
ज्यादा वर्कआउट से क्या होगा
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, उच्च तीव्रता वाले एक्सरसाइज दिल के मरीजों में अचानक से कार्डियक अरेस्ट और मौत का खतरा बढ़ा सकते हैं. इससे हार्ट रिदम डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ा सकता है. इस शोध में पाया गया कि ज्यादा हार्ड एक्सरसाइज दिल के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
हार्ड वर्कआउट क्यों खतरनाक
जब आप बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं, जिम में ज्यादा ट्रेडमिल पर चलते हैं तो हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर पर दोगुना असर पड़ता है. जिससे दिल के लिए ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है. लंबे समय तक ऐसा रहने से हार्ट के लिए सर्कुलेशन में तनाव पैदा होने लगता है.
इससे नसों में ब्लॉकेज, ब्लड प्रेशर लो या हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, दिनभर फिट रहने की सोचने और खुद को अव्वल दिखाने का असर दिमाग पर भी हो सकता है. कई बार तो ये डिप्रेशन के लक्षण भी हो सकते हैं.
एक्सरसाइज कितनी देर करना चाहिए
सेहत के दुरुस्त रखने के लिए एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है लेकिन ये जानना जरूरी है कि कितनी देर एक्सरसाइज करना चाहिए. CDC के अनुसार, फिजिकल एक्टिविटी से वजन मेंटेन कर सकते हैं. इससे ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है. एक वयस्क को हर हफ्ते 2 घंटे और 30 मिनट की मोडरेट इंटेंसिटी एक्सरसाइज करनी चाहिए. इसमें तेज चलना, साइकिलिंग, वेट ट्रेनिंग, योगा, स्ट्रेचिंग जैसी एक्टिविटीज कर सकते हैं. बच्चों और किशोर रोजाना 1 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं.