नई दिल्ली:- विदेशी प्रभाव कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी की टिप्पणी को भारत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पारदर्शिता एवं जवाबदेही के सिद्धांत को चुनिंदा तरीके से लागू नहीं किया जा सकता।
मानवाधिकार परिषद के 56वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वाल्कर टर्क ने इसी हफ्ते कहा था कि नागरिक दायरे के संदर्भ में एक चिंताजनक प्रवृत्ति 50 से अधिक देशों में तथाकथित ”पारदर्शिता” या ”विदेशी प्रभाव” कानूनों पर विचार या उसे अपनाना है।
इन देशों में बोस्निया और हर्जेगोविना, जार्जिया, भारत, किर्गिस्तान, रूस, स्लोवाकिया और तुर्किये शामिल हैं। इन कानूनों से सिविल सोसायटी के काम, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संघ बनाने पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ने का खतरा है।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अरिंदम बागची ने कहा कि भारत समेत दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों में विदेशी फंड के दुरुपयोग के बारे में वैध चिंताओं से बचने के लिए कई दशकों से नियम हैं।
उन्होंने कहा, ‘पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू नहीं किया जा सकता। अपारदर्शी या अवैध विदेशी फंडिंग की बैसाखियों पर निर्भरता को दर्शाना भी भारत के जीवंत नागरिक समाज के लिए नुकसानदायक है।’ बागची ने कहा, ‘उच्चायुक्त कार्यालय के लिए अपने मूल काम पर ध्यान केंद्रित करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’