ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने प्रदेश के महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा पर अपने संवैधानिक पद का दुरूपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस संबंध में आज लॉयर्स यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की तथा न्यायालय के आदेशों और दस्तावेजों के साथ एक ज्ञापन सौंपकर महाधिवक्ता के असंवैधानिक कार्यों की शिकायत की तथा विधि एवं संविधान के विरुद्ध किये जा रहे उनके कृत्यों का संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ सम्यक कार्यवाही की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के राज्य महासचिव शौकत अली, स्टेट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल, अधिवक्ता मनोहर सिंह आदि शामिल थे।
अपने ज्ञापन में लॉयर्स यूनियन ने राज्यपाल से शिकायत की है कि बार कौंसिल के चुनाव के कथित विवाद के संबंध में चुनाव प्राधिकरण द्वारा चुनाव याचिका निरस्त कर देने के बावजूद महाधिवक्ता वर्मा ने अपने कार्यालय का दुरूपयोग कर गलत अभिमत देते हुए कौंसिल की पूर्व उपसचिव मल्लिका बल के खिलाफ एक मामले में उनकी गिरफ्तारी करवाई।
उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का प्रकरण संस्थित होने के बाद ही इस मामले का खात्मा हो सका। लॉयर्स यूनियन के शौकत अली ने बताया कि बार कौंसिल का कार्यकाल खत्म होने के बाद महाधिवक्ता वर्मा अब कौंसिल के पदेन अध्यक्ष भी है। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए अब वे अपने विरोधियों के खिलाफ दुर्भावना से ग्रस्त होकर फर्जी मुकदमे गढ़वा रहे है, जिसका एक उदाहरण निलंबित पटवारी और गैर-कानूनी तरीके से वकालत करने के लिए पंजीयन करवाने वाले संतोष पांडे द्वारा चंदेल के खिलाफ की गई एक फर्जी शिकायत की समुचित जांच किये बिना कार्यवाही के लिए पुलिस को अग्रेसित करने के मामले में देखा जा सकता है।
इस मामले में भी अपर सत्र न्यायाधीश, बिलासपुर ने प्रथम दृष्टया किसी अपराध में संलिप्तता न पाए जाने के आधार पर चंदेल को अग्रिम जमानत दे दी है। स्पष्ट है कि इस मामले में भी महाधिवक्ता द्वारा अपने संवैधानिक पद का दुरूपयोग किया गया है।शौकत अली ने बताया कि उक्त दोनों मामलों में अपने कुत्सित मंसूबों में विफल होने के बाद अब महाधिवक्ता वर्मा कौंसिल के कार्यालय में पदस्थ एक चपरासी पर चंदेल के खिलाफ अपहरण का फर्जी मामला बनवाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि कौंसिल प्रदेश के 29000 अधिवक्ताओं की एकमात्र वैधानिक और मातृ संस्था है। कौंसिल का पदेन अध्यक्ष होने के नाते अधिवक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने का संवैधानिक दायित्व हमारे प्रदेश के महाधिवक्ता का बनता है, जबकि वे अपने प्रभाव और कार्यालय का उपयोग अधिवक्ताओं के खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्यवाहियों के लिए कर रहे हैं। लॉयर्स यूनियन ने अपने ज्ञापन में कहा है कि राज्यपाल इस प्रदेश में संविधान की रक्षक है।
चूंकि महाधिवक्ता की नियुक्ति उनकी अनुशंसा पर ही होती है, इसलिए महाधिवक्ता के विधि और संविधान विरूद्ध आचरण और अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए उसके द्वारा अपने कार्यालय का दुरूपयोग करने का संज्ञान राज्यपाल को तत्काल लेना चाहिए। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना है और यथोचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।