)हाइपरसोमनिया तब होता है जब व्यक्ति को दिन में बहुत नींद आती है. यह नस संबंधी बीमारी हो सकती है. इसमें शरीर की नसें ठीक से काम नहीं करती है.हाइपरसोमनिया तब होता है जब व्यक्ति को दिन में बहुत नींद आती है. यह न्यूरोलॉजिकल कारणों या स्लीप एपनिया जैसी अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण हो सकता है, लेकिन कभी-कभी इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है.
1/5हाइपरसोमनिया से पीड़ित लोगों को नींद आने के कारण दिन में काम करने में कठिनाई होती है. जिससे एकाग्रता और एनर्जी का लेवल भी काफी ज्यादा प्रभावित होता है.हाइपरसोमनिया से पीड़ित लोगों को नींद आने के कारण दिन में काम करने में कठिनाई होती है. जिससे एकाग्रता और एनर्जी का लेवल भी काफी ज्यादा प्रभावित होता है.
2/5हाइपरसोमनिया जिसे कभी-कभी हाइपरसोम्नोलेंस भी कहा जाता है.यह तब होता है जब कोई व्यक्ति पर्याप्त नींद लेने के बावजूद नींद महसूस करता है.हाइपरसोमनिया जिसे कभी-कभी हाइपरसोम्नोलेंस भी कहा जाता है.यह तब होता है जब कोई व्यक्ति पर्याप्त नींद लेने के बावजूद नींद महसूस करता है.
3/5यह किसी ऐसी स्थिति के कारण हो सकता है जो व्यक्ति की नींद लेने की क्षमता को प्रभावित करती है. जैसे कि अवसाद, डिप्रेशन और एंग्जायटी के कारण भी हो सकता है.यह किसी ऐसी स्थिति के कारण हो सकता है जो व्यक्ति की नींद लेने की क्षमता को प्रभावित करती है. जैसे कि अवसाद, डिप्रेशन और एंग्जायटी के कारण भी हो सकता है.
4/5हाइपरसोमनिया इडियोपैथिक, प्राइमरी या सेकेंडरी हो सकता है.इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया तब होता है जब कोई व्यक्ति बिना किसी स्पष्ट कारण के असाधारण रूप से नींद महसूस करता है.हाइपरसोमनिया इडियोपैथिक, प्राइमरी या सेकेंडरी हो सकता है.इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया तब होता है जब कोई व्यक्ति बिना किसी स्पष्ट कारण के असाधारण रूप से नींद महसूस करता है.
5/5प्राइमरी हाइपरसोमनिया तब होता है जब हाइपरसोमनिया मुख्य स्थिति होती है. यह न्यूरोलॉजिकल कारणों के कारण हो सकता है या नार्कोलेप्सी के लक्षण के रूप में हो सकता है.प्राइमरी हाइपरसोमनिया तब होता है जब हाइपरसोमनिया मुख्य स्थिति होती है.