: दिल्ली नगर निगम से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एमसीडी में एल्डरमैन चुनने के अधिकार को सही माना है. दिल्ली के उप राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची आम आदमी पार्टी की दायर याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.इस बीच कोर्ट ने कहा कि उप राज्यपाल दिल्ली कैबिनेट के बिना भी नगर निगम में एल्डरमैन की नियु्क्ति करने के लिए वैध है. इसमें सरकार उसे हस्तक्षेप करने से रोक नहीं सकती. कोर्ट का यह आदेश आप के लिए किसी बड़े झटके तौर पर देखा जा रहा है. आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि साल 1993 एक्ट में पहले जो परिवर्तन किया गया था, उस समय नॉमिनेश की ताकत गवर्नर को दी थी.आगे कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के उप राज्यपाल पूरे पूरी आजादी के सात दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति करने का काम कर सकते हैं. एललजी को नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति करने के लिए सरकार की सलाह की जरूरत नहीं है.
एलजी के खिलाफ कोर्ट पहुंची थी आम आदमी पार्टीदिल्ली उप राज्यपाल द्वारा एमसीडी में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. याचिका में दिल्ली सरकार का तर्क था कि उसकी सलाह बिन मनमाने तरीके से उप राज्यपाल ने 10 एल्डरमैन की नियुक्त की है. आप ने इस तरीके को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया जो पार्टी के बड़ा झटका माना जा रहा है.जानकाीर के लिए बता दें कि नगर पालिका में किसी को एल्डरमैन चुनने के लिए अनुभवी व्यक्ति की जरूरत होती है. एल्डरमैन को नगर निगम के फैसलों में मदद करने का अधिकार दिया जाता है. एमसीडी अधिनियम, 1975 के अनुसार उपराज्यपाल 25 साल से ज्यादा उम्र के 10 लोगों को एमसीडी में एल्डरमैन के लिए नियुक्त करने का काम किया जा सकता है. इस बीच आप का आरोपी है कि वीके सक्सेना ने बीजेपी कार्यकर्ता को एल्डरमैन के पद पर तैनाती दी, जबकि उन्हें बिल्कुल भी काम करने का अनुभव प्राप्त नहीं है.सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले आप नेता
एमसीडी में एल्डरमैन की तैनाती के खिलाफ आप की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मुझे लगता है किक यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा झटका है. संजय सिंह ने कहा कि आप चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज कर उप राज्यपाल को सारे अधिकार प्रदान कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र और भारत के संविधान के लिए अच्छा नहीं है।