)हैदराबाद : कई बार किसी रोग के प्रभाव में या कई अन्य कारणों के चलते लोग लोग ऐसी चीजें देखने, सुनने या महसूस करने लगते हैं जो वास्तव में होती ही नहीं है. ऐसी अवस्था या ऐसे अनुभव होना दरअसल हमारे शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हो सकते हैं तथा कई बार इसके लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी जिम्मेदार हो सकती है. इस तरह के अनुभव को मेडिकल भाषा में हैलुसिनेशन या मतिभ्रम कहा जाता है. हैलुसिनेशन ज्यादातर मामलों में एक गंभीर समस्या कहलाती है तथा इसका पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. जानकार मानते हैं कि नशे के प्रभाव या कुछ दवाओं के प्रभाव को छोड़ दिया जाय तो इसके लिए इसके लिए ज्यादातर मामलों में गंभीर मानसिक तथा मस्तिष्क से जुड़े स्वास्थ्य विकार जिम्मेदार होते हैं
.क्या है हैलुसिनेशन : दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डॉ रीना दत्ता (पीएचडी) बताती हैं कि हैलुसिनेशन वह अवस्था है जिसमें हमारी इंद्रियां प्रभावित होने लगती हैं. कारणों के आधार पर हैलुसिनेशन कई प्रकार का हो सकता है. जैसे कुछ लोग दृश्य हैलुसिनेशन का सामना करते हैं. यानी उन्हे ऐसी चीजें दिखाई देती हैं जो वास्तव में नहीं होतीं हैं, वहीं कुछ लोग श्रवण हैलुसिनेशन का सामना कर सकते हैं, जिसमें उन्हे ऐसी आवाजें सुनाई दे सकती हैं जो वास्तविक नहीं होतीं, जैसे किसी के बोलने या गाने की आवाज. इसके अलावा कुछ लोगों को स्पर्श हैलुसिनेशन यानी ऐसा महसूस होना जैसे कोई उन्हे छू रहा है तथा स्वाद या गंध से जुड़े हैलुसिनेशन भी महसूस हो सकते हैं
.हैलुसिनेशन के कारणडॉ रीना दत्ता बताती हैं कि मतिभ्रम कई कारणों से हो सकते हैं जिनमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कारण और समस्याएं, कुछ खराब आदतें तथा कभी-कभी तनाव भी शामिल हैं.ऐसे कारण जिनके प्रभावों में हैलुसिनेशन को गिना जाता है या जिन्हें हैलुसिनेशन के जिम्मेदार कारणों में से एक माना जाता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.मानसिक स्वास्थ्य विकार: सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर,पीटीएसडी, कुछ अन्य भ्रम संबंधी विकार और गंभीर अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकार हैलुसिनेशन का कारण बन सकते हैं.
मस्तिष्क विकार: मिर्गी, पार्किंसन रोग, या ब्रेन ट्यूमर जैसी मस्तिष्क संबंधी समस्याएं भी हैलुसिनेशन का कारण बन सकती हैं.दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के रूप में भी हैलुसिनेशन हो सकते हैं.तनाव और चिंता: अत्यधिक तनाव और चिंता भी व्यक्ति को हैलुसिनेशन के अनुभव करा सकती है.नशीली दवाएं और शराब: कुछ नशीली दवाएं और अत्यधिक शराब का सेवन हैलुसिनेशन को प्रेरित कर सकते हैं.
नींद की कमी: लगातार नींद की कमी या अनिद्रा भी हैलुसिनेशन का कारण बन सकती है.हैलुसिनेशन से निपटने के तरीकेडॉ रीना दत्ता बताती हैं कि गंभीर हैलुसिनेशन के लिए ज्यादातर मामलों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जिम्मेदार होती है. जिन्हे तत्काल संबोधित करना या जानना व समझना तथा उनकी तत्काल जांच व इलाज शुरू करना बेहद जरूरी होता है. लेकिन कई बार लोग मतिभ्रम को लेकर जागरूकता की कमी या अंधविश्वास के चलते इसकी जांच व इलाज में देरी कर देते हैं. ना सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी बहुत से लोग मतिभ्रम को कई बार जादू टोने या भूत प्रेत से जोड़ कर देखते हैं. ऐसे में जब कोई व्यक्ति ऐसा होने पर दूसरों को इस बारे में बताते हैं तो बहुत से लोग इसे शारीरिक या मानसिक अस्वस्थता से जोड़ कर देखने की बजाय इसके लिए अंधविश्वास से जुड़े कारणों को जिम्मेदार ठहराते है. और इलाज की बजाय अन्य चीजों पर ध्यान देने लगते हैं.
हालांकि मतिभ्रम या हैलुसिनेशन कोई ऐसा विषय नहीं है जिसके बारें में लोग जानते नहीं हैं लेकिन आज भी हैलुसिनेशन के कारणों तथा इससे जुड़े कारकों को लेकर लोगों में ज्यादा व सही जानकारी नहीं है. बहुत जरूरी है कि हैलुसिनेशन को गंभीरता से लिया जाय तथा इसके लक्षण नजर आने पर जरूरी जांच व उपचार लिया जाय. जितनी जल्दी इसके कारणों को जानकर उनका इलाज व थेरेपी शुरू होगी उतना ही समस्या के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बढ़ेगी.वह बताती हैं कि हैलुसिनेशन के लिए यदि मानसिक या मस्तिष्क संबंधी कारण जिम्मेदार हैं तो चिकित्सक जरूरी जांच के उपरांत दवाओं, कुछ विशेष थेरेपी तथा मनोचिकित्सा के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं.
वहीं यदि इसके लिए नशीले पदार्थों का सेवन, नींद की कमी या अन्य व्यवहार संबंधी या दवाओं के प्रभाव जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं, जिनका प्रभाव केवल कुछ समय तक रहता है तो चिकित्सक पीड़ित को आहार-व्यवहार व जीवनशैली से जुड़ी अच्छी आदतों को अपनाने जैसे नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद तथा नशीले पदार्थों के उपयोग से दूरी बनाने की सलाह देते हैं. जो हैलुसिनेशन से छुटकारा पाने या उन्हें नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं.