नई दिल्ली. इंजीनियर से समाजसेवी बनीं राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति को सोमवार को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. उन्होंने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें उन्होंने रक्षाबंधन की शुरुआत मुगल बादशाह हुमायूं से होने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, “रक्षाबंधन का इतिहास बहुत समृद्ध है. जब रानी कर्णावती खतरे में थीं, तो उन्होंने भाईचारे के प्रतीक के रूप में राजा हुमायूं को एक धागा भेजा और उनसे मदद मांगी. यही वह जगह है जहां धागे की परंपरा शुरू हुई और यह आज भी जारी है.”सुधा मूर्ति ने यह बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो पोस्ट कर कही. उन्हें इस बात के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी. सोशल मीडिया पर लोगों ने उनसे कहा कि वह भारतीय संस्कृति और त्योहारों के बारे में कुछ नहीं जानती हैं. एक यूजर ने लिखा कि हुंमायूं और कर्णावती वाली कहानी मनगढ़ंत है.
सोशल मीडिया पर आलोचना मिलने के बाद सुधा मूर्ति ने अपने उस पर सफाई जारी की. उन्होंने लिखा, “मैंने रक्षा बंधन पर जो कहानी साझा की है, वह त्योहार से जुड़ी कई कहानियों में से एक है और निश्चित रूप से इसकी उत्पत्ति नहीं है. जैसा कि मैंने वीडियो क्लिप में कहा है, यह पहले से ही इस देश की एक प्रथा थी. मेरा इरादा उन कई कहानियों में से एक को उजागर करना था जो मैं बचपन से सुनती आ रही हूं. रक्षा बंधन एक बहुत पुरानी परंपरा है जो हमारे प्यारे देश के समय और संस्कृति में निहित है, जिस पर मुझे गर्व है और मैं अपने भाई-बहनों के लिए स्नेह के साथ इसका इंतजार करती हूं.”हालांकि, उनकी इस सफाई के बाद भी उन्हें सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया मिलती रही. आपको बता दें कि सुधा मूर्ति देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी हैं. उन्होंने इन्फोसिस की शुरुआती फंडिंग भी की थी. सुधा मूर्ति एक लेखक भी हैं. साथ ही वह परोपकारी कार्यों में भी काफी सक्रिय रहती हैं.