यह जानना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि चाहे आप बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहें या आईवीएफ बेबी. वह इंसान है और किसी भी दूसरे बच्चे की तरह ही नैचुरल ही है. दरअसल. बस फर्क यह है कि यह IVF प्रोसेस के जरिए भ्रूण को तैयार करके मां के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाता है और उसके बाद नॉर्मल जैसे आम प्रेग्नेंसी होती है उसी की तरह देखभाल के साथ गर्भावस्था जारी रखी जाती है.
IVF: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ कंसीव करने का आर्टिफिशियल तरीका है. इस प्रॉसेस से जन्मे बच्चे टेस्ट ट्यूब बेबी कहे जाते हैं. आजकल इसका ट्रेंड काफी ज्यादा बढ़ गया है.IVF की प्रॉसेस क्या है
आईवीएफ के दौरान पुरुष के स्पर्म और महिला के एग लेकर एंब्रियो बनाने की प्रकिया शुरू की जाती है. इसमें महिला के अंडों और पुरुष के स्पर्म को लैब में साथ रखकर फर्टिलाइज किया जाता है. इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है.आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में कोई अंतर नहीं है. टेस्ट ट्यूब बेबी शब्द एक गैर-चिकित्सा शब्द है जिसका इस्तेमाल दशकों पहले आईवीएफ या इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन के लिए किया जाता था.
टेस्ट ट्यूब बेबी शब्द इस आइडिया के कारण अस्तित्व में आया कि भ्रूण महिला की फैलोपियन ट्यूब के बजाय टेस्ट ट्यूब में बनता है. वास्तव में अंडे और शुक्राणु को पेट्री डिश में निषेचित किया जाता है और इसलिए, इन-विट्रो, जिसका अर्थ है ग्लास कल्चर डिश के अंदर, जबकि इन-विवो, जिसका अर्थ है जीवित शरीर के अंदर.आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच का अंतरभारत में कई टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर हैं जो उन लोगों को गलत संदेश देते हैं जो आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच अंतर नहीं जानते हैं.
भारत में आईवीएफ के स्वीकार्य होने से पहले, टेस्ट ट्यूब बेबी शब्द ने लोगों के बीच हलचल मचा दी थी. कुछ लोगों ने तो यह भी सोचा कि बच्चा पूरी तरह से टेस्ट ट्यूब में विकसित हुआ है. आज भी इस शब्द से एक सामाजिक कलंक जुड़ा हुआ है, हालांकि यह धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. भारत में पहली और दुनिया में दूसरी टेस्ट ट्यूब बेबी दुर्गा के जन्म की 2000 के दशक की शुरुआत तक आलोचना की गई थी.बेबी को टेस्ट ट्यूब में तैयार कर IVF के जरिए मां के गर्भ में रखा जाता हैयह जानना महत्वपूर्ण है कि चाहे आप बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहें या आईवीएफ बेबी, वह इंसान है और किसी भी अन्य बच्चे की तरह ही पूरी तरह से नैचुरल है.
आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से बने भ्रूण को मां के गर्भ में स्थानांतरित किया जाता है और सामान्य देखभाल के साथ गर्भावस्था जारी रखी जाती है. बांझपन या स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थता की बढ़ती घटनाओं के कारण आज भारतीयों के बीच आईवीएफ उपचार अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बांझपन को एक ऐसी बीमारी घोषित किया है जिसके लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है