2019-2020 में आए कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई. ये वो समय था जब बच्चे-बच्चे के मुंह पर सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम था कोरोना. इस वायरस ने दुनियाभर में भारी तबाही मचाई और गहरी चोट देकर चला गया. हालांकि ये वायरस आज भी मौजूद है पर अब इतना जानलेवा नहीं. लेकिन अब दुनिया को दहलाने फिर से दो नए वायरस आ गए हैं जिनसे एक बार फिर से कोरोना की ही तरह भारी तबाही का अंदेशा है. ये दो नए वायरस है ओरोपोचे और मंकीपॉक्स.दुनियाभर में फैले दो नए वायरसमंकीपॉक्स का नाम तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन ओरोपोचे नया वायरस है जो सबसे पहले अमेरिका में डिटेक्ट हुआ. अमेरिका में काफी लोगों को नुकसान पहुंचाने के बाद अब ये दुनिया के अलग-अलग देशों में फैल रहा है और जगह जगह से इसके मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं.
दक्षिणी अमेरिका के बाद ब्राजील और पेरू में इसके मामले रिपोर्ट किए गए हैं. ये एक बुखार की तरह फैलता है जिसकी वजह से ब्राजील में दो महिलाओं की मौत तक हो गई है. ये दोनों महिलाएं 30 वर्ष से कम आयु की हैं.लोगों को अलर्ट रहने की जरूरतआरएमएल हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट डॉ. अंकित कुमार बताते हैं कि मंकीपॉक्स और ओरोपोचे दोनों वायरस पुराने हैं, लेकिन अब ये फिर से फैल रहे हैं. ये दोनों ही संक्रामक हैं और एक से दूसरे व्यक्ति में जा सकते हैं. ऐसे में इनके मामले और बढ़ने का खतरा है. हालांकि भारत में अभी इनके केस नहीं है. ऐसे में पैनिक होने की जरूरत नहीं है. लेकिन लोगों को अलर्ट रहना होगा.
ओरोपोचे की शुरुआतओरोपोचे वायरस ओरोपोचे बुखार का एटिओलॉजिकल एजेंट है, जो एक जूनोटिक रोग है जो मुख्य रूप से क्यूलिकोइड्स पैरेंसिस प्रजाति के मिज द्वारा फैलता है. हालांकि इस वायरस की खोज 1955 में त्रिनिदाद और टोबैगो में की गई थी. लेकिन इसके बाद ये कई यूरोपीय देशों में भी रिपोर्ट किया गया. हाल ही में ब्राजील और पेरू के विभिन्न क्षेत्रों में ओरोपोचे बुखार के प्रकोप के कारण वायरस और रोग दोनों पर सबका ध्यान गया है. हालांकि मध्य और दक्षिण अमेरिका को उभरते जूनोसिस का हॉटस्पॉट माना जाता है लेकिन अब ये वायरस ब्राजील, पेरू समेत अर्जेंटीना, बोलीविया, कोलंबिया और इक्वाडोर में फैल चुका है.बीते कुछ दिनों में ही ब्राजील के 20 राज्यों में इसके 7 हजार से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं. बीते साल भी इसके 840 मामले रिपोर्ट किए गए थे.
कैसे होता है ओरोपोचे बुखारओरोपोचे बुखार भी डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की ही तरह संक्रमित मच्छर के काटने या फिर उनके द्वार दूषित भोजन को खाने से फैलता है. जिसके बाद व्यक्ति को तेज बुखार की शिकायत होती है. हालांकि एशिया और यूरोप में ये बीमारी नई है लेकिन मध्य और दक्षिण अमेरिका के साथ-साथ कैरिबियन देशों में ये काफी पुरानी बीमारी है.ओरोपोचे फीवर के लक्षणओरोपोचे वायरस से संक्रमित मरीज को सिरदर्द, बुखार, ठंड या कंपकपी, जोड़ों में दर्द और उल्टी की शिकायत होती है. इस वायरस से संक्रमण मच्छर के काटने के चार से आठ दिन बाद देखने को मिलता है.अगर मरीज की इम्युनिटी अच्छी है तो वो जल्दी ठीक हो जाता है वर्ना उसको ठीक होने में लंबा समय लग सकता है और मरीज की जान तक जा सकती है.
ओरोपोचे से कैसे करें बचावहालांकि अब तक ओरोपोचे को लेकर कोई टीका या दवाई सामने नहीं आई है. लेकिन इसकी रोकथाम के लिए मच्छर निरोधक दवाइयां दी जा रही हैं. वैसे इसे रोकने के लिए आस-पास का वातावरण साफ रखें. मच्छरों से बचाव के इंतजाम करें इसके लिए अपने आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. पानी में लार्वा दिखने की स्थिति में पानी में मिट्टी का तेल और दवाई डाल दें जिससे लार्वा मर जाए.ध्यान रखें कि घर के आसपास कहीं भी पानी ज्यादा दिन तक इकट्ठा न रहे. बारिश के दिनों में खास तौर पर इस बात का ध्यान रखें.
सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें या फिर मच्छरों को भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करें.मंकीपॉक्स वायरस क्या हैमंकीपॉक्स या एमपॉक्स भी ओरोपोचे की ही तरह एक दुर्लभ बीमारी है जो एमपॉक्स वायरस के कारण फैलती है. ये वायरस आमतौर पर चूहों और बंदरों को प्रभावित करता है लेकिन अब इनसे इंसान भी प्रभावित हो रहा है. ये वायरस संक्रमित जानवर या इंसान के ड्रॉपलेट्स से फैलता है. जिसके बाद अन्य व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है.
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले भी तेजी से रिपोर्ट किए जा रहे हैं.मंकीपॉक्स के लक्षणमंकीपॉक्स के लक्षणों में भी तेज बुखार आना, मांसपेशियों और पीठ में तेज दर्द महसूस होना, तेज सिर दर्द, सूजन और शरीर पर चकत्ते होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. मंकीपॉक्स बुखार 5से 21 दिनों तक रह सकता है.डब्ल्यूएचओ इन दोनों ही वायरस को लेकर चिंतित है और दुनियाभर से रिपोर्ट हो रहे इनके मामलों को लेकर गंभीर है. साथ ही डब्ल्यूएचओ ने सभी लोगों को पूरी एतिहात बरतने की सलाह दी है ताकि इसके बढ़ते मामलों को रोका जा सके.आरटी-पीसीआर किट से हो जाएगी मंकीपॉक्स की जांचहेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी का कहना है कि तेजी से बढ़ते एमपॉक्स का पता लगाने और उसकी जांच अब COVID-19 परीक्षण के लिए उपयोग किए गए समान आरटी-पीसीआर उपकरणों से की जा सकेगी. ऐसे में कई लैब्स के पास पहले से ही आवश्यक ढांचा मौजूद है और वे नए एमपॉक्स डिटेक्शन किट्स के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
आईजीजी और आईजीएम का पता लगाने के लिए सीडीएससीओ द्वारा स्वीकृत रैपिड टेस्टिंग किट्स भी तेजी से रिपोर्ट दे सकेंगी. नमूने घावों से कड़ी सावधानी के साथ एकत्र किए जाएंगे और फिर परीक्षण के लिए भेजे जाएंगे.टेस्टिंग से घटेंगे मामलेडॉ. भाटी कहते हैं कि एमपॉक्स को रोकने के लिए सही तरीके से टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन की जरूरत होगी. ऐसे में दोनों ही देशी और रैपिड टेस्टिंग किट्स की मंजूरी सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में संदिग्ध मरीज की जांच करने और बीमारी को रोकने की अच्छी स्थिति में है. जिससे इस बीमारी के प्रचार प्रसार में रोक आएगी और ये एक महामारी का रूप लेने से बच जाएगी, ऐसे में इसकी टेस्टिंग और बीमारी के प्रसार को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी