नई दिल्ली:– जहां एक तरफ, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्साइज पॉलिसी मामले में ED की अभियोजन शिकायतों पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। वहीं पूर्व CM ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने और कार्यवाही रोकने के लिए कोर्ट से निर्देश मांगा है। इस मामले पर आज यानी 21 नवंबर को सुनवाई होनी है।
जानकारी दें कि, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। याचिका को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।
बता दें कि, केजरीवाल ने याचिका में हाई कोर्ट से इस आधार पर अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया कि विशेष न्यायाधीश ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए किसी मंजूरी के अभाव में आरोपपत्र पर संज्ञान लिया, जबकि कथित अपराध के समय वह लोक सेवक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
जानकारी दें कि, हाई कोर्ट ने बीते 12 नवंबर को केजरीवाल की एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब तलब किया था, जिसमें धन शोधन मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी समन को चुनौती दी गई थी। उसने आपराधिक मामले में इस स्तर पर अधीनस्थ अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में केजरीवाल को 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी थी।
वहीं ‘आप’ नेता को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की ओर से दर्ज मामले में शीर्ष अदालत ने 13 सिंतबर को जमानत पर रिहा किया था। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
वहीं दिल्ली सरकार ने बीते 17 नवंबर 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की थी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था। धन शोधन का यह मामला CBI की प्राथमिकी से उपजा है, जो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश किए जाने के बाद दर्ज हुई थी