उत्तर प्रदेश:– किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक किडनी दान के मामले में महिलाएं पुरुषों से काफी आगे हैं। रिपोर्ट से जाहिर है कि जीवन बचाने की लड़ाई में महिलाओं की संवेदनशीलता पुरुषों से ज्यादा है। पुरुष जहां अपने महिला संबंधियों के लिए अंगदान से कतराते दिखते हैं, वहीं महिलाओं ने जरूरत पड़ने पर जान की बाजी लगाने से भी गुरेज नहीं किया है।
लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि एक साल के भीतर 111 महिलाओं ने किडनी डोनेट की है जबकि ऐसा करने वाले पुरुष सिर्फ 16 हैं। एसजीपीजीआई के आकड़े बताते हैं कि एक साल में सिर्फ 16 महिलाओं का ही गुर्दा प्रत्यारोपण हो सका है। वहीं इस अवधि में 111 पुरुषों की किडनी ट्रांसप्लांट की गई। महिलाओं के किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या कम होने के पीछे की वजह यह रही कि उन्हें डोनर ही नहीं मिले। महिलाओं को किडनी देने की बात आई तो उनके पति और बेटों तक ने इससे मुंह मोड़ लिया। वहीं 70 फीसदी पुरुषों को उनकी पत्नियों ने किडनी डोनेट की थी।
मेरठ में भी वही आंकड़ा
रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में किडनी दान करने वाले लोगों में 87 फीसदी महिलाएं और 13 फीसदी पुरुष हैं। महिला दानदाताओं में 70 फीसदी पत्नियां हैं। जिन्होंने अपने पति के लिए किडनी डोनेट की है। 30 फीसदी में मां और बहनें या अन्य करीबी शामिल हैं। पुरुष डोनर में सबसे ज्यादा संख्या पिताओं की है, जिन्होंने अपनी बेटियों के लिए किडनियां डोनेट कीं। पति का नंबर दूसरा है जबकि तीसरे नंबर पर भाइयों ने बहनों के लिए किडनियां दी हैं।
लखनऊ के अलावा मेरठ के आंकड़े भी इसी तथ्य की पुष्टि करते हैं कि महिलाओं ने ज्यादा खुले दिल से जीवन बचाने के लिए किडनी दान किया है। यहां पिछले दो सालों में किडनी डोनेशन के 30 ऐप्लीकेशन आए। इनमें भी 70 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी किडनी दान की। किडनी देने वालों में सबसे ज्यादा पत्नियां रहीं। इसके बाद 6 मांओं ने बेटों के लिए किडनी दान की। डोनर में तीसरे नंबर पर पिता रहे है।