नई दिल्ली:- बेंगलुरु के रहने वाले टेक एक्सपर्ट अतुल सुभाष की आत्महत्या ने भारतीय दंड संहिताकी धारा 498-A के कथित दुरुपयोग पर तीखी बहस छेड़ दी है, जिसमें टॉप वकीलों ने चिंता व्यक्त की है और सुधार के सुझाव दिए हैं. बता दें कि कथित तौर पर अपनी पत्नी और उसके परिवार से उत्पीड़न का सामना कर रहे सुभाष ने बीते 9 दिसंबर की सुबह आत्महत्या कर ली थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान करते हुए कहा कि धारा 498-ए का दुरुपयोग समाज के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है. पाहवा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत गंभीर मामला है. पिछले तीन दशकों से आपराधिक मामलों के वकील होने के नाते, मैंने देखा है कि कैसे 498-ए का हमारे अपने लोगों – कानूनी बिरादरी, पुलिस तंत्र और असंतुष्ट महिलाओं द्वारा दुरुपयोग किया गया है. इस घटना ने विवाद को जन्म दिया है और इस मुद्दे को देश के लोगों के सामने लाया है.
‘पैसे लेकर समझौता करने के लिए दबाव
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 498-ए के तहत झूठे आरोप अक्सर सिर्फ पति को ही नहीं बल्कि उसके रिश्तेदारों को भी निशाना बनाते हैं, जिसमें ससुराल वाले भी शामिल हैं, ज़्यादातर मामलों में पैसे लेकर समझौता करने के लिए दबाव डाला जाता है.
‘पैसे ऐंठने का एक जरिया
पाहवा कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कोई वास्तविक मामले नहीं हैं; ऐसे मामले हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर मामले पति को कुछ पैसे देकर मामला निपटाने के लिए राजी करने के लिए दायर किए जाते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में हर दिन पति-पत्नी के बीच मामले सुलझते हैं. यह पैसे ऐंठने का एक जरिया बन गया है.
बदलाव की जरूरत
वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और धारा 498-ए के दुरुपयोग पर चिंता जताई. मिश्रा ने कहा, “इन दिनों 498-ए का बहुत दुरुपयोग हो रहा है और इसमें वास्तविक मामलों की संख्या कम हो गई है. अदालतें उदार हो गई हैं, लेकिन इसमें अभी भी बदलाव की जरूरत है, जैसे कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जांच होनी चाहिए.
इस बीच बेंगलुरु के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस शिवकुमार ने पुष्टि की कि सुभाष ने 9 दिसंबर को आत्महत्या की थी और मामले में मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी. उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ कई मामले चल रहे थे. उनकी पत्नी और उनके परिवार के सदस्यों ने इस मामले को निपटाने के लिए उनसे पैसे मांगे और उन्हें परेशान किया था. इन कारणों से, उन्होंने आत्महत्या कर ली.
उधर मृतक के भाई विकास कुमार ने बाद में सुभाष की पत्नी, सास, साले और चाचा पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने चल रहे विवादों को निपटाने के लिए 3 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसके कारण सुभाष ने आत्महत्या कर ली.
क्या है सेक्शन 498-ए
भारतीय दंड संहिता में धारा 498-A को 1983 में शामिल किया गया था, ताकि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा विवाहित महिला पर की गई किसी भी क्रूरता के लिए पर्याप्त सजा का प्रावधान किया जा सके. इसके तहत तीन साल की कैद और जुर्माना का प्रावधान है. यह अपराध संज्ञेय होने के साथ-साथ गैर-जमानती भी है.
वहीं, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 84 इसी प्रावधान से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार ने किसी महिला के साथ क्रूरता की है, तो उसे 3 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
धारा 498-ए के तहत शिकायत अपराध से पीड़ित महिला या उसके रिश्तेदार या अडोप्शन से संबंधित किसी भी व्यक्ति द्वारा दायर की जा सकती है और यदि ऐसा कोई रिश्तेदार नहीं है. इसके तहत अपराध किए जाने का आरोप लगाने वाली शिकायत कथित घटना के 3 साल के भीतर दायर की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने गलत इस्तेमाल पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने भी भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंगलवार कहा कि कभी-कभी प्रावधान, जिसका मूल उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से बचाना है, कुछ महिलाओं द्वारा अपने पति और उसके परिवार को अपनी अनुचित मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर करने के लिए तेजी से शोषण किया जा रहा है.