नई दिल्ली:– एयरोप्लेन में सफर के दौरान यात्रियों से अपने मोबाइल फोन को फ्लाइट मोड पर डालने के लिए कहा जाता है। यह निर्देश सिर्फ नियम पालन के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। खासकर, टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय फ्लाइट मोड पर फोन रखना बेहद जरूरी होता है। आइए जानें इसके पीछे की असली वजह।
पायलट ने बताया रेडियो कम्युनिकेशन में होती ह
टिकटॉक पर वायरल एक वीडियो में @perchpoint नामक पायलट ने समझाया कि मोबाइल फोन टॉवर से कनेक्ट होने की कोशिश करते हैं, जिससे रेडियो कम्युनिकेशन में बाधा उत्पन्न होती है। पायलट ने कहा, “मोबाइल फोन रेडियो वेव छोड़ते हैं, जो हमारे हेडसेट की रेडियो वेव में हस्तक्षेप कर सकती हैं। इससे कंट्रोल टॉवर से मिलने वाले निर्देश स्पष्ट सुनाई नहीं देते।”
उन्होंने एक हालिया घटना का जिक्र करते हुए बताया कि रेडियो वेव्स की घुसपैठ के कारण उन्हें कंट्रोल टॉवर से दिशा-निर्देश सुनने में परेशानी हुई। पायलट ने इस स्थिति की तुलना “कान में मच्छर घुसने की आवाज” से की, जो बेहद असुविधाजनक होती है।
भारत में फ्लाइट मोड को लेकर नियम
भारत में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, विमान में सभी पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जैसे मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट को फ्लाइट मोड में रखना अनिवार्य है।
हालांकि, कुछ एयरलाइन्स अपनी तकनीकी क्षमता और DGCA से अनुमति के आधार पर इन-फ्लाइट वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराती हैं।
सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी
टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय रेडियो कम्युनिकेशन की सही स्पष्टता पायलट और विमान की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, अगली बार जब आप विमान में सफर करें, तो अपने फोन को फ्लाइट मोड पर डालना न भूलें। यह आपकी सुरक्षा के लिए एक छोटी लेकिन अहम जिम्मेदारी है।