नई दिल्ली:– भारत में बैंकिंग सेक्टर को हमेशा सुरक्षित और मजबूत माना गया है। लेकिन जब भी किसी बैंक के असफल होने की खबर आती है, तो यह ग्राहकों और निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। हाल ही में, एक और भारतीय बैंक के डूबने की अफवाहें फैल रही हैं। इस लेख में, हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि यदि कोई बैंक असफल होता है तो ग्राहकों को उनके पैसे वापस मिलेंगे या नहीं।
क्या होता है जब कोई बैंक डूबता है?
जब कोई बैंक असफल होता है, तो इसका मतलब है कि वह अपने जमाकर्ताओं और कर्जदाताओं को भुगतान करने में असमर्थ हो गया है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
बुरे कर्ज जब बैंक द्वारा दिए गए ऋण वापस नहीं आते।
प्रबंधन की विफलता: गलत वित्तीय निर्णय और भ्रष्टाचार।
आर्थिक मंदी: जब बाजार में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ जाती हैं।
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ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। यदि कोई बैंक असफल होता है, तो निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यह संस्था प्रत्येक ग्राहक के जमा पर ₹5 लाख तक की गारंटी देती है।
बैंक का विलय: असफल बैंक को किसी बड़े और स्थिर बैंक में मर्ज कर दिया जाता है।
रिज़र्व बैंक की निगरानी: RBI असफल बैंकों पर नियंत्रण रखता है ताकि ग्राहकों के हित सुरक्षित रहें।
पिछले 20 वर्षों में भारतीय बैंकों की असफलताएं
भारत में कुछ बैंकों ने अतीत में वित्तीय संकट का सामना किया है। नीचे दिए गए टेबल में कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया गया है:
बैंक का नाम असफलता का कारण
यस बैंक बुरे कर्ज और पूंजी जुटाने में विफलता
लक्ष्मी विलास बैंक बड़े कॉर्पोरेट ऋणों में अनियमितताएं
पीएमसी बैंक खराब ऋणों की रिपोर्टिंग में गड़बड़ी
ग्लोबल ट्रस्ट बैंक शेयर बाजार में अधिक निवेश और घाटा
क्या भारतीय बैंकों का भविष्य सुरक्षित है?
भारतीय बैंकों की संरचना और नियामक प्रणाली काफी मजबूत मानी जाती है। यहां कुछ कारण दिए गए हैं कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली अपेक्षाकृत सुरक्षित क्यों है:
घरेलू बचत पर निर्भरता: भारतीय बैंकों के अधिकांश जमा घरेलू बचत से आते हैं।
सख्त नियामक नियम: RBI समय-समय पर बैंकों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करता है।
डी-सिब्स (D-SIBs): SBI, HDFC Bank और ICICI Bank जैसे बड़े बैंकों को “Too Big To Fail” श्रेणी में रखा गया है।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
यदि आप किसी बैंक के ग्राहक हैं, तो निम्नलिखित सुझाव अपनाएं:
अपने सभी खातों का बैलेंस ₹5 लाख से कम रखें ताकि DICGC इंश्योरेंस कवर मिले।
सरकारी और बड़े निजी बैंकों को प्राथमिकता दें।
नियमित रूप से अपने खातों की निगरानी करें।