नई दिल्ली:– समुद्र से पाया जाने वाला मोती जितना खूबसूरत है, उतना ही पावरफुल है। यह चंद्रमा का रत्न है। इसको धारण करने व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा को मन, इमोशन, माता का कारक माना जाता है। इस कारण मोती पहनने से व्यक्ति तनावमुक्त रहता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
वहीं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती हर किसी के लिए शुभ हो, यह आवश्यक नहीं है। मोती का संबंध चंद्रमा से माना गया है। इस कारण इसको पहनते समय कुंडली में चंद्रमा की स्थिति का विशेष ध्यान रखना चाहिए। माना जाता है कि मोती सही तरह से पहना जाए तो जीवन सफल बना देता है। वहीं, अगर बिना सोचे-समझे पहना जाए तो जीवन को नर्क भी बना सकता है।
इनको नहीं पहनना चाहिए मोती
ज्योतिष के अनुसार अत्यधिक भावुक और क्रोधी व्यक्ति को कभी भी मोती नहीं पहनना चाहिए।
जिनकी लग्न कुंडली वृषभ, मिथुन, कन्या, मकर या कुंभ की हो उनको भी मोती धारण करने से बचना चाहिए। ऐसा इस कारण है क्योंकि इन राशियों के स्वामी ग्रहों की चंद्रमा के साथ शत्रुता रहती है।
जिनकी राशियों के स्वामी शुक्र, बुध और शनि हों, उन राशि वालों को भी मोती धारण नहीं करना चाहिए।
कभी भी हीरा, पन्ना, नीलम और गोमेद के साथ मोती धारण नहीं करना चाहिए। वहीं, पीले पुखराज और मूंगा के साथ मोती धारण किया जा सकता है।
इनको करता है फायदा
मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वाले लोगों के लिए मोती पहनना फायदेमंद होता है। वहीं, धनु, सिंह और तुला लग्न वाले लोगों को विशेष दशाओं में ही मोती पहनने की सलाह दी जाती है।
इन स्थितियों में पहनें
अगर आपकी लग्न कुंडली में चंद्रमा नीच राशि जैसे वृश्चिक में हो तो मोती पहनें।
चंद्रमा की महादशा होने पर मोती अवश्य पहनें।
चंद्रमा, राहु या केतु के साथ युति में हो तो भी मोती धारण करना आपके लिए शुभ रहेगा।
लग्न चार्ट में चंद्रमा पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो भी मोती धारण करें।
कुंडली के 6वें, 8वें और 12 वें भाव में चंद्रमा तो भी आपको मोती धारण करना चाहिए।
चंद्रमा कमजोर हो या फिर सूर्य के साथ हो तो मोती आपके लिए शुभ रहेगा।
चंद्रमा क्षीण हों और आपका जन्म कृष्ण पक्ष में हो तो भी मोती धारण करें।
मोती धारण करते समय रखें सावधानी
मोती को चांदी की अंगूठी में ही धारण करें। यह अंगूठी सबसे छोटी अंगुली कनिष्ठा में शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार की रात में धारण करें। इसको आप पूर्णिमा के दिन भी पहन सकते हैं। पहनने से पहले इसे गंगाजल से धोकर भगवान शिव को अर्पित कर लें। इसके बाद ही इसको पहनें।