नई दिल्ली:- द कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एड वर्कर्स ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की लंबे समय से लंबित विभिन्न डिमांड का मुद्दा फिर उठाया है. कंफेडरेशन द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार विभिन्न डिमांड में से एक कोविड महामारी अवधि के दौरान रुके हुए महंगाई भत्ते के बकाया का भुगतान है.ये डीए बकाया जनवरी 2020 से जून 2021 की अवधि से संबंधित हैं.
इस सर्कुलर में सरकार से लंबित डीए मुद्दे और कई अन्य को जल्द से जल्द हल करने के लिए कहा गया है. 7 मार्च 2025 को जारी सर्कुलर में कंफेडरेशन ने कहा कि केंद्र सरकार की निष्क्रियता के कारण उनकी जायज मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं. कर्मचारी संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं.
कंफेडरेशन की मुख्य मांगें क्या हैं?
नई पेंशन योजना (NPS)) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल किया जाए.
कोविड महामारी के दौरान रोकी गई डीए की किस्तों को जारी किया जाए.
कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन से काटी गई राशि को 12 साल में बहाल किया जाए (फिलहाल यह अवधि 15 साल है).
कंपेशनेट के आधार पर नौकरी देने पर 5 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाए.
सभी पात्र आवेदकों को नियुक्ति दी जाए.
सभी विभागों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए.
सरकारी विभागों को आउटसोर्सिंग और प्राइवेटाइजेशन को रोका जाए.
क्या है डीए एरियर का मामला
केंद्र सरकार साल हर साल दो बार जनवरी और जुलाई में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी करती है, लेकिन 2020 में कोविड महामारी के चलते सरकार ने 18 महीने के लिए डीए बढ़ोतरी पर रोक लगा दी थी. इस दौरान कर्मचारियों को तीन किस्तों का डीए मिलना था, जो अभी तक लंबित है.
कंफेडरेशन का कहना है कि सरकार को इन लंबित एरियर का भुगतान करना चाहिए क्योंकि यह कर्मचारियों और पेंशनरों का अधिकार है, लेकिन सरकार ने अब तक इस मांग को स्वीकार नहीं किया है.
क्या सरकार डीए का बकाया देगी
सरकार कई मौकों पर यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह डीए का बकाया नहीं देगी. सरकार का तर्क है कि यह वित्तीय रूप से संभव नहीं है. हालांकि, कंफेडरेशन ने अपने सर्कुलर में कहा है कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करते रहेंगे.