पुणे:- आज के आधुनिक समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर क्षेत्र में किया जा रहा है. इससे काम करना पहले से कहीं ज्यादा आसान साबित हो रहा है. अब कृषि के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है, जिससे किसानों के लिए आर्थिक लाभ और कम लागत के साथ बेहतर उत्पादन प्राप्त करने की गारंटी दे रहा है. महाराष्ट्र के बारामती स्थित कृषि ट्रस्ट ने माइक्रोसॉफ्ट की जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनी के सहयोग से इसे सिद्ध कर दिखाया है.
बारामती कृषि विकास ट्रस्ट, माइक्रोसॉफ्ट, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एआई का इस्तेमाल कर कम लागत में अधिक उपज देने वाला गन्ना फार्म विकसित किया है. करीब एक हजार किसानों के खेतों में गन्ने पर यह प्रयोग किया गया है और इसके अच्छे और लाभकारी रिजल्ट सामने आए हैं.
बता दें कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है और आज भी यहां पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है. हम कृषि में बड़े पैमाने पर किए जा रहे विभिन्न शोधों को देखते हैं. महाराष्ट्र में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और पिछले कई सालों से गन्ने की खेती पारंपरिक तरीके से की जाती रही है.
हालांकि, अब देश में पहला प्रयोग बारामती के कृषि विकास ट्रस्ट के माध्यम से किया गया है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके कम लागत पर अधिक उपज वाले गन्ने की खेती करना संभव हो गया है.
कम लागत पर अधिक उपज वाले गन्ने की खेती
एआई के माध्यम से किया गया यह गन्ना खेती प्रयोग बारामती में कृषि विज्ञान केंद्र की जमीन पर ‘कृषि 2025’ कृषि प्रदर्शनी में किसानों को दिखाया जा रहा है. इस बार बड़ी संख्या में नागरिक इस तकनीक को लेकर अपनी उत्सुकता दिखा रहे हैं.
40 फीसदी तक बढ़ेगा किसानों का उत्पादन
पिछले कुछ सालों में कृषि और गन्ने की खेती में बड़ी मात्रा में तकनीक और विभिन्न शोध सामने आए हैं. इसके बावजूद कई लोग अभी भी पारंपरिक खेती के तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और कृषि में पूरी जानकारी के अभाव में उत्पादन लागत बढ़ जाती है और उत्पादन भी कम हो जाता है. हालांकि, आगे से ऐसा नहीं होगा. अब एआई के जरिए किए गए इस प्रयोग से किसानों को 40 फीसदी तक उत्पादन बढ़ाने, 20 से 40 फीसदी उत्पादन लागत कम करने और 30 फीसदी पानी बचाने में मदद मिलेगी.
एक हजार किसानों के खेतों पर किया गया प्रयोग
इस संबंध में डॉ. भूषण गोसावी ने बताया कि, उन्होंने गन्ने की उपज बढ़ाने के क्षेत्र में एक नई क्रांति की है. इसमें एआई का उपयोग करके गन्ने की उपज को 160 टन प्रति एकड़ से अधिक कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया है. गन्ने की खेती को लेकर एआई का प्रयोग तीन साल पहले शुरू किया गया था. फॉर्म ऑफ द फ्यूचर के माध्यम से इस उद्देश्य से शोध शुरू किया है कि कैसे किसान आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से फसलों में क्रांति ला सकते हैं. किसान एआई तकनीक की मदद से कैसे पानी की खपत कम कर सकते हैं, फर्टिलाइजर की खपत कम कर सकते हैं और गन्ने का उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
गोसावी ने बताया कि मार्च 2024 से एक हजार किसानों के खेतों में यह प्रयोग शुरू किया गया था. उन्होंने बताया कि, एआई के माध्यम से किसानों को हर अपडेट उपलब्ध होगा. गोसावी ने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के माध्यम से हमारे लिए मिट्टी, भूमि की जानकारी, उर्वरक की जानकारी, जलवायु परिवर्तन की जानकारी और हमारे खेत में वास्तव में क्या आवश्यक है, इसकी जानकारी प्राप्त करना संभव हो गया है.
साथ ही मिट्टी में जो सेंसर लगाया जाता है, वह मिट्टी की नमी, तापमान और परिवर्तनों के बारे में जानकारी देता है. साथ ही एक महत्वपूर्ण बात यह है कि उपग्रहों के माध्यम से इसकी निगरानी भी की जाती है. इस संबंध में किसानों को लगातार अलर्ट दिए जाते हैं. डॉ. भूषण गोसावी ने यह भी बताया कि जिन एक हजार किसानों के खेतों में यह प्रयोग किया गया, उनके उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
एआई के इस्तेमाल से होने वाले लाभ
अगर गन्ने की खेती में एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो इससे किसानों के उत्पादन में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी. साथ ही इससे 30 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होगी और उत्पादन लागत में 20 से 40 प्रतिशत की कमी आएगी तथा मिट्टी की उर्वरता में भी वृद्धि होगी. जैविक कार्बन आकलन के माध्यम से किसानों को भविष्य में कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा तथा फसल कटाई की दक्षता में 35 प्रतिशत तक का सुधार देखने को मिलेगा.
इसके साथ-साथ AI के उपयोग से रासायनिक खादों के इस्तेमाल में 25 प्रतिशत की कमी आएगी. इससे फसल की निरंतर निगरानी के कारण कीटनाशकों के इस्तेमाल में 25 प्रतिशत की बचत होगी, जिससे हमें कई लाभ देखने को मिलेंगे.