नयी दिल्ली, 11 दिसंबर। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान प्रदर्शन स्थल से वापस लौटने के लिए तैयार हैं।
किसानों के लौटने के साथ ही इस विरोध प्रदर्शन का अंत हो जाएगा। किसानों ने अपने घर लौटने से पहले सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमा पर विजय मार्च निकाला। किसानों को लौटने से पहले अपने तंबू तोड़ते, क्षेत्र की सफाई करते और भावनात्मक विदाई देते हुए देखा गया।
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर सीमा पर कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ दिन और लगेंगे तथा वह खुद 15 दिसंबर को लौट जाएंगे।
किसानों के जाने के बाद बैरिकेड्स हटा दिए जाएंगे और सड़कों को ट्रैफिक के लिए साफ कर दिया जाएगा
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकारी अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल कर एक समिति गठित करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की घोषणा के बाद आठ दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान समूहों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था।
सरकार ने पराली जलाने की शिकायतों सहित आंदोलन के दौरान दायर किए गए सभी किसानों के खिलाफ शिकायतों को वापस लेने पर भी सहमति जताई है।
आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के लिए मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इस मांग को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है जबकि पंजाब ने पहले ही इसकी घोषणा कर दी है।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि मुआवजे का मामला राज्य का विषय है।
पिछले वर्ष सितंबर में संसद द्वारा विधेयक पारित करने के तुरंत बाद पंजाब में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इसके बाद 26 नवंबर को किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ (दिल्ली मार्च) का आह्वान किया।
इसके बाद जब किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई तब वे शहर की सीमाओं पर धरना पर बैठ गए। किसानों का धरना एक वर्ष से अधिक समय तक चला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को अचानक घोषणा की कि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा। इसके बाद शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को संसद ने इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया।