आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनाव आयोग ने शनिवार को प्रचार के प्रावधानों में और ढील दे दी है. राजनीतिक दल और उम्मीदवार सभी मौजूदा निर्देशों का पालन करते हुए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक प्रचार कर सकते हैं. आयोग ने संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (एसडीएमए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार चुनावी राज्यों में पदयात्रा की भी अनुमति दे दी है. उसने देश में विशेष रूप से मतदान वाले राज्यों में कोविड-19 (Covid-19) महामारी की स्थिति की समय-समय पर समीक्षा की. चुनाव आयोग ने कोविड की जमीनी स्थिति के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के साथ बैठक की. समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि कोविड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और देश में मामले तेजी से घट रहे हैं.
इससे पहले आयोग ने रोड शो, पदयात्रा, वाहन रैलियों और जुलूसों पर लगा प्रतिबंध 11 फरवरी तक बढ़ा दिया था, लेकिन सभी चरणों के लिए घर-घर जाकर प्रचार करने वालों की संख्या तथा जनसभाओं से संबंधित नियम में ढील प्रादन कर दी थी. दी गई छूट के तहत घर-घर जाकर प्रचार करने वाले लोगों की संख्या 10 से बढ़ाकर 20 कर दी गई है और जनसभाओं में अब अधिकतम 1,000 लोग शामिल हो सकते हैं. आयोग ने इनडोर बैठकों में शामिल होने वालों की अधिकतम संख्या भी वर्तमान 300 से बढ़ाकर 500 कर दी थी. हालांकि, राज्य के अधिकारियों ने कहा था कि कोविड प्रोटोकॉल सावधानियों को जारी रखने की जरूरत है, ताकि राजनीतिक गतिविधियों के कारण संक्रमण के मामलों में कोई वृद्धि न हो.
पांचों राज्यों में कोरोना के मामले घटे, ताबड़तोड़ हो रही हैं रैलियां
भले ही गैर-चुनाव वाले राज्यों से कोरोना के अधिक मामले सामने आ रहे हों, लेकिन देश में कुल रिपोर्ट किए गए मामलों में चुनाव वाले राज्यों का योगदान बहुत कम है. कोविड के आंकड़ों की बात करें तो 21 जनवरी को लगभग 3.47 लाख के आए थे, जोकि शनिवार यानि 12 फरवरी को घटकर लगभग 50,000 रह गए हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में कोरोना के मामलों की कुल संख्या 22 जनवरी को 32,000 से अधिक थी, जोकि 12 फरवरी को घटकर लगभग 3,000 रह गई है.
कोविड-19 मामलों में वृद्धि का हवाला देते हुए आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा करते हुए फिजिकल रैलियों, रोड शो और पदयात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. आयोग समय-समय पर महामारी की स्थिति की समीक्षा कर रहा है और कुछ छूट दे रहा है. पांचों राज्यों में जमकर चुनाव प्रचार किया जा रहा है और सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने राज्यों में बड़े पैमाने पर सभाएं की हैं. हर पार्टी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर पैंतरा आजमा रही है.