जम्मू-कश्मीर- पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले में 27 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं इस हमले के बाद ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) संगठन एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है। इससे यह भी साबित हो गया है कि कश्मीर की घाटी में यह आतंकी संगठन अभी भी कितना एक्टिव है।
कई लोग इस आतंकी संगठन के बारे में नहीं जानते हैं। इसका बैकग्राउंड क्या है? इसकी शुरुआत कब हुई? कैसे हुई और इसका नाम अंग्रेजी में क्यों है? आखिर क्या वजह है कि आतंकी संगठन का नाम अंग्रेजी में है? क्या भारत में हुए और भी कई हमले में इस संगठन का हाथ रहा है?जानिए इस संगठन का पूरा बैकग्राउंड इस खबर में।
टीआरएफ यानी द रेजिस्टंस फ्रंट संगठन क्या है?
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी टीआरएफ एक नया आतंकी संगठन है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के मकसद से बनाया गया था। इसका गठन साल 2019 में हुआ था। इसे बनाने का मकसद यही था कि लश्कर जैसे पुराने आतंकी संगठनों को एक नया चेहरा दिया जा सके ताकि पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर ऐसे हमलों में सामने न आए। बता दें कि इस आतंकी संगठन को बनाने में लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का सीधा रोल रहा है। उनकी मदद से ही ऐसा खूंखार संगठन बनाया गया है। जानकारी के अनुसार टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के तौर पर शुरू हुआ और अब धीरे-धीरे घाटी में भी एक्टिव हो गया है।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद टीआरएफ की गतिविधियों में वृद्धि
ऐसा पहली बार नहीं है जब इस आतंकी संगठन ने किसी हमले की जिम्मेदारी ली है भारत में या कई ऐसे जगह पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस संगठन द्वारा ली जा चुकी है। टीआरएफ ने कश्मीर में हुए कई नरसंहारों की जिम्मेदारी ली है। ये आतंकी संगठन अब तक सेना के कई जवानों और आम नागरिकों की हत्या में शामिल रह चुका है। दरअसल अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इसकी गतिविधियों में तेजी से इज़ाफा हुआ है। इतना ही नहीं ये संगठन सीमा पार से हथियार और ड्रग्स की तस्करी में भी शामिल रहा है।
जानबूझकर इस आतंकी संगठन को अंग्रेज़ी नाम दिया गया
सवाल उठता है कि आखिर इस आतंकी संगठन को इतनी मजबूती कैसे मिल रही है दरअसल आतंकी संगठन टीआरएफ को पाकिस्तान में बैठे आईएसआई हैंडलर्स और लश्कर-ए-तैयबा से सीधी मदद मिलती है। यही वजह है कि इस संगठन में जैश और लश्कर के आतंकवादियों की भी बड़ी मात्रा में भागीदारी रही है। कई लोगों के मन में यह भी सवाल उठा है कि आखिर इस संगठन को अंग्रेजी नाम क्यों दिया गया दरअसल इसे अंग्रेज़ी नाम इसलिए दिया गया ताकि दुनिया को लगे कि ये कोई नया संगठन है और इसमें पाकिस्तान की भूमिका नहीं है।