नई दिल्ली:– हिंदू धर्म में ‘ॐ’ को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है. हर मंत्र की शुरुआत ‘ॐ’ से होती है. नाशिक के प्रसिद्ध महंत अनिकेत शास्त्री के अनुसार, यह मात्र एक ध्वनि नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक है. जब हम ‘ॐ’ का उच्चारण करते हैं, तो एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव होता है. यह ध्वनि ब्रह्मांड से उत्पन्न पहली ध्वनि है और इसमें सभी वेदों और तपस्वियों का सार समाहित है.
मंत्रों के साथ ‘ॐ’ क्यों जोड़ा जाता है?
महंत अनिकेत शास्त्री ने बताया कि किसी भी मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाने से उसकी शक्ति और प्रभाव बढ़ जाते हैं. यह मंत्र को शुद्ध और प्रभावशाली बनाता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ‘ॐ’ के बिना मंत्र अधूरा माना जाता है. इसके साथ मंत्र का जाप करने से उस मंत्र में एक विशेष गति आती है और वह सिद्ध हो जाता है.
मंत्र जाप में शुद्धि का कारक
‘ॐ’ का उपयोग मंत्र जाप के दौरान किसी अशुद्धि को समाप्त करने में सहायक होता है. यदि मंत्रोच्चारण में कोई त्रुटि हो जाए, तो ‘ॐ’ उसे शुद्ध कर देता है. इससे मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को किसी दोष का भय नहीं रहता. इसीलिए हर मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाया जाता है
भगवद्गीता में ‘ॐ’ का उल्लेख
भगवद्गीता और अन्य धर्मशास्त्रों में भी ‘ॐ’ की महिमा का उल्लेख किया गया है. कहा गया है कि ‘ॐ’ के साथ मंत्र जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यह मंत्र की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है. ‘ॐ’ का उच्चारण धर्मशास्त्रों के पाठ के समान फलदायी होता है और इससे इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
अन्य धर्मों में ‘ॐ’ का स्थान
केवल सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि भारत के अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में भी ‘ॐ’ को प्रमुख स्थान दिया गया है. यह शब्द एकता, शांति, और ध्यान का प्रतीक है. विभिन्न योग और ध्यान प्रक्रियाओं में ‘ॐ’ का उच्चारण शरीर और मन को शांति प्रदान करता है.