बॉलीवुड के मशहूर आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने आत्मत्या कर ली. उनका शव कमरे में रस्सी से लटकते हुए मिला है. हालांकि, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. नितिन देसाई के ऊपर 250 करोड़ रुपये का कर्ज था. उन्होंने एक कंपनी से 180 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. इंटरेस्ट मिलाकर कर्ज की कुल राशि 250 करोड़ हो गई थी. इससे वे आर्थिक रूप से दबाव में आ गए थे. कहा जा रहा है कि इस कर्ज की वजह से ही नितिन देसाई ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.अब सवाल उठता है कि उनकी मौत के बाद आखिर 250 करोड़ रुपये का लोन कौन चुकाएगा. तो आइए आज जानते हैं, किसी कर्जदार व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो ऐसे स्थिति में लोन का भुगतान कैसे किया जाता है.
बैंक और फाइनेंस कंपनियां किस तरह से और किससे लोन की रकम वसूल करते हैं.क्या हैं नियम?लोन की रिकवरी को लेकर अलग- अलग नियम बनाए गए हैं. यदि कर्जदार की मौत हो जाती है तो होम लोन, वाहन लोन और पर्सनल लोन की रिकवरी को लेकर अलग- अलग तरीके से कार्रवाई की जाती है. इसलिए आपको हर लोन के हिसाब को समझना होगा कि लोन लेने वाले शख्स की मृत्यु के बाद लोन का भुगतान कौन करता है?
होम लोन में क्या हैं नियम?होम लोन के लिए अलग तरह के कानून बनाए गए हैं. अगर कोई होम लोन लेना चाहता है, तो उसे घर के कागजात गिरवी रखने पड़ते हैं. यदि बीच में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है, लोन चुकाने की जिम्मेदारी को-बोरोवर की होती है. इसके अलावा मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारी जैसे बेटे- बेटी या किसी सम्बंधी पर भी लोन जमा करने की जिम्मेदारी होती है. अगर को-बोरोवर और उत्तराधिकारी लोन चुका सकते हैं, तो उन्हें इसकी जिम्मेदारी दी जाती है.
खास बात यह है कि को-बोरोवर और उत्तराधिकारी को बैंक और फाइनेंस कंपनियां अपनी संपत्ति बेचकर भी लोन चुकाने का ऑप्शन देते हैं. अगर को-बोरोवर और उत्तराधिकारी इस ऑप्शन को भी स्वीकार नहीं कर पाते हैं, तो बैंक लोन के एवज में रखी गई संपत्ति को नीलाम कर देता है. इससे हुई आमदनी से बैंक बकाया राशि वसूल लेता है. हालांकि, अब होम लोन के मामले में बैंक लोन देने के समय ही एक इंश्योरेंस करवा देता है. अगर व्यक्ति की मौत हो जाती है तो बैंक इंश्योरेंस के माध्यम से इसे वसूल लेगा.
पर्सनल लोन सिक्योर्ड लोन के दायरे में नहीं आता है. ऐसे में अगर लोन चुकाने से पहले ही व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो बैंक उसके बदले किसी दूसरे व्यक्ति से पैसे की वसूली नहीं कर सकता है. खास बात यह है कि उत्तराधिकारी पर्सनल लोन को लेकर जवाबदेह नहीं होता है.वाहन लोन के क्या हैं नियम?हालांकि, वाहन लोन एक तरह का सिक्योर्ड लोन है. वाहन खरीदने के लिए अगर कोई व्यक्ति लोन लेता है और उसकी बीच में मौत हो जाती है, तो बैंक घर वालों को लोन का भुगतान करने के लिए कहेगा. अगर वो लोन का भुगतान नहीं करते हैं तो बैंक व्हीकल को जब्त कर लेता है और बेचकर लोन का पैसा वसूल करता है.