नई दिल्ली :– बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता तय करने का एक 8 सूत्रिय फॉर्मुला निर्धारित किया है. बता दें कि बेंगलुरु आधारित इंजीिनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या करने से पहले लिखे सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया है. सुसाइड से पहले बिहार के रहने वाले अतुल ने 80 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जिसमें उन्होंने अपनी अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर पैसे ऐंठने के लिए उन पर और उनके परिवार पर कई मामले दर्ज करने का आरोप लगाया था. साथ ही अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने न्याय व्यवस्था की भी आलोचना की.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीवी वराले की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मंगलवार को एक तलाक मामले में फैसला सुनाते हुए और गुजारा भत्ता राशि पर निर्णय देते हुए देश भर की सभी अदालतों को सलाह दी कि वो अपने आदेश फैसले में उल्लिखित कारकों के आधार पर दें.
विवाह विच्छेद और भरण पोषण का पैसा तय करने
विवाह विच्छेद और भरण पोषण का पैसा तय करने के लिए 8 सूत्रीय फॉर्मूला
पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत
भविष्य में पत्नी-बच्चों की बुनियादी जरूरतें
दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार
आमदनी के साधन और सम्पदा
पत्नी का ससुराल में रहते हुए रहन सहन का स्तर
क्या परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है?
नौकरी न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित रकम
पति की आर्थिक हैसियत, उसकी कमाई और गुजारे-भत्ते के साथ अन्य जिम्मेदारियां क्या होंगी.
कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने कहा, ‘उपरोक्त कारक कोई सीधा-सादा फार्मूला नहीं बनाते, बल्कि स्थायी गुजारा भत्ता तय करते समय दिशा-निर्देश के रूप में काम करते हैं. गुजारा भत्ता की राशि इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित हो’.
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह ने कही ये बात
आज ही एक अन्य घटनाक्रम में, एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दहेज के मामले को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इस प्रावधान का कभी-कभी पति और उसके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी 498ए के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी
अतुल सुभाष के मामले ने भारत में दहेज कानून के दुरुपयोग पर बहस को फिर से हवा दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में चिंता जताई है, जो विवाहित महिलाओं के खिलाफ पतियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता को संबोधित करती है. अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट के हर पन्ने पर बेंगलुरु के टेकी ने न्याय की मांग की और लिखा, “न्याय मिलना चाहिए”.
2019 में अतुल और निकिता ने की थी शादी
अतुल और निकिता एक मैचमेकिंग वेबसाइट पर मिले थे और दोनों ने 2019 में शादी की थी. इसके अगले साल ही दोनों ने एक बेटे का स्वागत किया था. अतुल सुभाष ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का परिवार अक्सर उससे लाखों में पैसों की मांग करता था लेकिन जब उसने पैसे देने से मना कर दिया तो उसकी पत्नी 2021 में बच्चे को लेकर उनका बेंगलुरु वाला घर छोड़कर चली गई. उसने यह भी कहा कि उसकी पत्नी और उसके परिवार ने केस को सेटल करने के लिए 1 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन बाद में मांग को बढ़ाते हुए 3 करोड़ रुपये कर दिया था.