नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से टेलिकॉम कंपनियों को तगड़ा झटका लगा. लेकिन, सबसे ज्यादा नुकसान वोडाफोन आइडिया को हुआ. उच्चतम न्यायालय ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल समेत कई कंपनियों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में कथित गलती को सुधारने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली. महज साढ़े 4 घंटे के अंदर निवेशकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया. जैसे ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में गिरावट गहराने लगी
.वोडाफोन-आइडिया के शेयर सुबह 12.99 रुपये के स्तर पर खुले और 19 फीसदी की गिरावट के साथ 10.44 रुपये के स्तर पर बंद हुए. सुबह सवा 11 बजे कंपनी के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ और बाजार बंद होने तक इसमें भारी बिकवाली हुई. इसके साथ-साथ मोबाइल कंपनियों को टावर सर्विस देने वाली कंपनी इंडस टावर में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में 20 फीसदी तक की गिरावट से कंपनी का मार्केट कैप बहुत घट गया, इससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है.दरअसल, वोडफोन-आइडिया के ऊपर इंडस टावर की बड़ी लेनदारी बनती है इसलि कंपनी के लिए खराब आने से इंडस टावर के शेयर भी बुरी तरह टूट गए.
खास बात है कि जहां वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में जबरदस्त बिकवाली हुई तो वहीं भारती एयरटेल के शेयरों में तेजी देखने को मिली. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के अनुसार, अदालत से राहत नहीं मिलने के कारण वोडाफोन आइडिया के लिए परेशानियां और बढ़ेंगी.कोर्ट ने फैसले में क्या कहासुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘ सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने का आवेदन खारिज किया जाता है. हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया है. हमारा मानना है कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा में इस अदालत के फैसले में बताए गए मापदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है। सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं.’’बता दें कि सुधारात्मक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम पड़ाव होती है, उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी रास्ता नहीं होता. इस पर आम तौर पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि प्रथम दृष्टया फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला नहीं बन जाता