लखनऊ :- बदलते राजनीतिक समीकरण को लेकर अखिलेश यादव ने बड़ी पहल शुरू की है. संभल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी लगातार आक्रामक मूड में नजर आ रही है. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान सपा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था. मुस्लिम समुदाय ने कुछ क्षेत्रों में सपा की बजाय एआईएमआईएम, आजाद समाज पार्टी जैसे अन्य विकल्पों की ओर रुख किया. तो क्या समाजवादी पार्टी इसलिए आक्रामक मूड में नजर आ रही है, ताकि 2027 में सबकुछ ठीक रहे, पढ़ें ये रिपोर्ट..
2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया. समाजवादी पार्टी के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में 2024 के वोट बैंक को बरकरार रखा जाए और शायद यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव संभल हिंसा मामले के बाद लगातार बेहद आक्रमक नजर आ रहे हैं. बात चाहे पहले दिन की हो जिस दिन हिंसा हुई.. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 24 नवंबर को समाजवादी पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने आक्रामक रुख का इजहार किया था.
लोकसभा में भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उनकी पूरी पार्टी इस बात पर जोर दे रही है कि संभल मामले को जोर-शोर से उठाया जाए. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसके पीछे समाजवादी पार्टी का तर्क यही है कि 2027 के चुनाव में मुसलमान वोट बैंक ना छिटके. जिस तरह से उपचुनाव में कई सारी सीटों पर देखने को मिला है कि मुस्लिम वोट बैंक एआईएमआईएम से लेकर भाजपा और आजाद समाज पार्टी तक में शिफ्ट हुआ है. ऐसे में समाजवादी पार्टी को डर सताने लगा है कि कहीं ऐसा ना हो की 2027 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक छिटक जाए.