?कनाडा में रहने वाले एक पाकिस्तानी शख्स को गिरफ्तार किया गया है. वो अमेरिका जाकर 7 अक्टूबर को यहूदी सेंटर में मास शूटिंग करने की प्लानिंग कर रहा था. लेकिन अमेरिका में जाने से पहले ही उसे एजेंसियों ने धर दबोचा. ऐसे में आज ये जानेंगे कि आखिर 2001 में हुए इस हमले के बाद से कैसे अमेरिका ने अपने सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया. देश की रणनीति में ऐसे कौन से बदलाव किए, जिससे आज भी आतंकवादियों के लिए अमेरिका में हमला करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है.
कनाडा में रहने वाले एक पाकिस्तानी शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. उस पर आरोप है कि वो अमेरिका पर हमले की प्लानिंग कर रहा था. 20 साल के शाहजेब को क्यूबेक के ऑर्म्सटाउन में गिरफ्तार किया गया. उस समय वो अमेरिका जाने की फिराक में था. ये 7 अक्टूबर को ब्रुकलिन में एक यहूदी सेंटर पर सामूहिक गोलीबारी की योजना बना रहा था. उसका प्लान था कि ये हमला अमेरिका के 9/11 हमले से भी भयानक हो. इसके तार इजराइल और हमास के युद्ध से भी जुड़ रहे हैं.पिछसे साल 7 अक्टूबर को ही हमास-इजराइल के बीच जंग शुरू हुई थी. इस दिन हमास के आतंकियों ने दक्षिणी इजराइल पर बड़ा हमला बोल दिया था. इसमें 1300 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई.
वहीं 240 लोगों को अगवा करके बंधक बना लिया गया था. इस शख्स की कोशिश थी कि वो अमेरिका जाकर 7 अक्टूबर को यहूदी सेंटर में मास शूटिंग करेगा. उसका प्लान था कि ये हमला अमेरिका के 9/11 हमले से भी भयानक हो. आरोपी को ISIS संगठन से जुड़ा बताया गया है.ऐसे में ये जानेंगे कि आखिर 2001 में हुए इस हमले के बाद से कैसे अमेरिका ने अपने सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया. उस समय के प्रधानमंत्री जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए देश की रणनीति में ऐसे कौन से बदलाव किए, जिससे आज भी आतंकवादियों के लिए अमेरिका में हमला करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो गया है.हमास-इजराइल की जंग का कनेक्शनकनाडा में पकड़े गए इस आरोपी के तार इजराइल और हमास के युद्ध से जुड़े हैं. पिछसे साल 7 अक्टूबर को ही हमास-इजराइल के बीच जंग शुरू हुई थी. इस दिन हमास के आतंकियों ने दक्षिणी इजराइल पर बड़ा हमला बोल दिया था. इसमें 1300 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई.
वहीं 240 लोगों को अगवा करके बंधक बना लिया गया था. इस शख्स की कोशिश की थी कि वो अमेरिका जाकर 7 अक्टूबर को यहूदी सेंटर में मास शूटिंग करेगा. उसका प्लान था कि ये हमला अमेरिका के 9/11 हमले से भी भयानक हो. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि आखिर अमेरिका का 9/11 हमल कितना भयानक था.9/11 हमले से दहल गया था अमेरिका11 सितंबर 2001 का वो दिन दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकी हमला था. इसमें करीब 3 हजार लोगों की जान गई थी. ये दुनिया के सबसे खौफनाक आतंकी हमलों में से एक था. इस दिन अल-कायदा के आतंकियों ने चार विमान को हाईजैक कर लिया था. इनका मकसद विमान को अलग-अलग ऐतिहासिक जगहों पर क्रैश कराने का था.इनमें सबसे पहला प्लेन अमेरिकन एयरलाइन फ्लाइट 11 क्रैश हुआ.
ये वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टावर से टकराया था. इसके 17 मिनट बाद यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 साउथ टावर से टकराई. वहीं कुछ देर बाद एक और प्लेन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराया. इसके बाद चौथा प्लेन पेन्सिलवेनिया के एक मैदानी इलाके में गिरा था.अमेरिका ने बदली अपनी रणनीतिइस हमले के बाद से अमेरिका ने अपनी कई रणनीतियों में बड़े बदलाव किए. साल 2008 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भी कहा था, ‘ सरकार के सभी स्तरों पर अनेक लोगों के प्रयासों के कारण, 11 सितम्बर 2001 के बाद से हमारी धरती पर कोई अन्य हमला नहीं हुआ है.’ ऐसे में अमेरिका के उन प्रयासों पर नजर डालेंगे, जिससे आज तक कोई भी आतंकी तो क्या आतंकी संगठन भी कई प्रयासो के बावजूद सफल नहीं हो पाए.ऐसे शुरू हुआ आतंकवाद की सफाईइस हमले के बाद से अमेरिका ने सबसे पहले इनका सफाया अपने देश से ही शुरू किया. 9/11 के बाद से अमेरिका में दो दर्जन से अधिक आतंकवादियों और उनके समर्थकों को गिरफ्तार किया गया और दोषी ठहराया गया.
इसके साथ ही अमेरिका में आतंकवाद और उससे जुड़े सैकड़ों व्यक्तियों और उनकी संस्थाओं के एसेट्स को फ्रीज कर दिया गया.इतना ही नहीं अमेरिका ने बॉर्डर पर पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी. इसके लिए अमेरिका ने सेना में 18,000 से भी ज्यादा एजेंट्स को भर्ती किया. इसके साथ ही अमेरिका ने बार्डर पर पकड़ो और छोड़ो की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया, यानी अगर कोई अमेरिका के बार्डर पर पकड़े गया, तो उसे तुरंत नहीं बल्कि एक बड़ी जांच प्रक्रिया के बाद छोड़ा जाएगा. अमेरिकी सरकार ने बॉर्डर सिक्योरिटी और इंफोर्समेंट की फंडिंग को भी 160 परसेंट तक बढ़ा दिया.एयरपोर्ट सिक्योरिटी को लेकर किए बदलावदेश में हर कॉमर्शियल हवाई यात्री की जांच करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. यात्रियों की बेहतर पहचान के लिए क्रेडेंशियल पहल शुरू की गई. इसके बाद देश में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की जांच और पहचान में बायोमेट्रिक्स को शामिल किया गया. विदेशी यात्रियों की जांच करने और आतंकवादियों को अमेरिका में आने से रोकने के लिए US-VISIT बनाया गया. सिर्फ एयरपोर्ट पर ही नहीं बल्कि बेहतर निगरानी के लिए बंदरगाहों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई.आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध छेड़ाअपनी सरजमीं को सुरक्षित करने के बाद अमेरिका ने विश्व में आतंक के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. इसके तहत उसकी सबसे बड़ी कार्रवाई अफगानिस्तान में हुई.
इस देश से अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से हटाया और करीब ढाई करोड़ लोगों को आजादी दिलाई.अमेरिका यहीं नहीं रुका इसके बाद उसने इराकियों को सद्दाम हुसैन के शासन से भी मुक्त कराया, जो एक तानाशाह था जिसने अपने ही लोगों की हत्या की. अपने पड़ोसियों पर आक्रमण किया.अमेरिका ने कई सहयोगी देशों की मदद से दो दर्जन से ज्यादा देशों में सैकड़ों अलकायदा नेताओं और कार्यकर्ताओं को पकड़ा या उन्हें मार डाला. इराक में अलकायदा के पूर्व नेता अबू मुसाब अल-जरकावी को 2006 में अमेरिका ने मार गिराया था. अफगानिस्तान में अलकायदा के सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया. साथ ही इराक में भी अलकायदा को अपंग बना दिया. कई आतंकवादी संगठनों हालात खराब करने के बाद अमेरिका ने खुद की सैन्य शक्तियों को बढ़ाना शुरू कर दिया.सेना के बजट में बढ़ोतरीअमेरिका ने अपनी सेना की तादाद में बढ़ोतरी की. इसके साथ ही ऑटोमेटिक हथियारों की संख्या को बढ़ाकर स्पेशल ऑपरेशन फोर्स को मजबूत किया. साल 2001 में अमेरिका ने रक्षा बजट को 70 परसेंट से ज्यादा बढ़ा दिया. यूरोप और एशिया में शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने अपनी सेनाओं को कई देशों में तैनात किया.सैनिकों को मजबूत करने के बाद अमेरिका ने अपनी साइबर सुरक्षा नीति पर काम किया और साइबर सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया गया.
अमेरिका ने देश की सुरक्षा के लिहाज से 22 एजेंसियों और 1 लाख 80 हजार कर्मचारियों को एक नई एजेंसी के तहत संगठित किया गया. इसके बाद देश के कानून को और मजबूत करने का काम किया. विदेशी खुफिया निगरानी अधिनियम को अपग्रेड करने के लिए कानून भी बनाया.आतंकवाद से निपटने कई देशों से मांगा साथअमेरिका ने इतने नियम कड़े कर दिए थे कि कोई भी उस पर हमला नहीं कर सकता था. इसलिए एफबीआई ने अब अपना ध्यान आतंकवादी हमलों की जांच से हटाकर उन्हें रोकने पर केंद्रित किया. एफबीआई में नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी बनाई गई, जो आतंकवाद को प्रमुखता से रोकने का काम करती है.आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका ने खुद को और ज्यादा सुरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन और साझेदारियों को बढ़ावा देना शुरू किया. 21वीं सदी के खतरों का सामना करने के लिए नाटो को बनाया. इन सब रणनीतियों से अमेरिका ने खुद को इतना मजबूत कर लिया कि आज के समय अगर कोई भी अमेरिका पर हमले की प्लानिंग करता है तो अमेरिका उसे पहले ही दबोच लेता है.