नई दिल्ली। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं। उनके लिए लोगों के मन में बहुत आदर और सम्मान है। हम सभी जानते हैं कि कलाम जी को देश और दुनिया के साथ-साथ विज्ञान की भी बहुत अच्छी समझ और जानकारी थी लेकिन आपको बता दें कि कलाम जी ने पैरेंट्स को भी बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए कुछ सीख और टिप्स दिए थे।
अगर आप भी पैरेंट हैं, तो कलाम जी की बताई बातों को अपनी पैरेंटिंग में शामिल कर, आप अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देने में सफल हो सकते हैं और उन्हें अपनी लाइफ में सक्सेसफुल होने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा माता-पिता को क्या सीख दी गई है।
बच्चों को संवेदनशील बनाएं
डॉक्टर कलाम का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के अंदर संवेदनशीलता का भाव डालना चाहिए। इससे बच्चे दूसरों के प्रति दया का भाव रखते हैं और मुश्किल आने पर दूसरों की मदद के लिए खड़े रहते हैं। कलाम जी ने बच्चों में संवेदनशीलता का गुण विकसित करने के लिए इसलिए भी कहा है कि क्योंकि वो जानते हैं कि दुनिया काे ऐसे लोगों की बहुत जरूरत है।
बच्चे कभी नहीं भूलते हैं
अगर आपसे कोई गलती हो गई है या आपने अपने पार्टनर से या परिवार के किसी सदस्य से चिल्लाकर या गलत तरीके से बात की है और आपका बच्चा उस समय वहीं मौजूद था, तो यह समझने की गलती न करें कि वो ये सब भूल जाएगा। डॉक्टर कलाम कहते हैं कि बच्चे आपके व्यवहार की हर एक चीज को याद रखते हैं और फिर उसे कॉपी करते हैं। आप जैसा व्यवहार करेंगे, बच्चे भी बड़े होकर ठीक वैसा ही व्यवहार करेंगे।
फैमिली में प्यार
बच्चों को परिवार में प्यार का माहौल देखना अच्छा लगता है। अगर परिवार के सदस्यों के बीच प्यार हो और घर में खुशी का माहौल रहे, तो इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है, उसका दिमाग तेज होता है और उसे अपनी जिंदगी में ऊंचाईयों को छूने का मौका मिल पाता है। अब अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कॉन्फिडेंट बने, उसका दिमाग तेज हो और वो अपनी जिंदगी में एक सफल इंसान बने, तो इसकी शुरुआत आपको अपने घर से ही करनी होगी।
लड़ाई-झगड़े से नहीं बनेगी बात
मां-बाप के बीच के झगड़े बच्चों को मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकते हैं। पैरेंट्स के बीच जितनी लड़ाई होगी, वो दोनों एक-दूसरे से जितना झूठ बोलेंगे या एक-दूसरे को तकलीफ देंगे, उतना ही ज्यादा बच्चे में डर और गुस्सा पैदा होगा और उसकी ध्यान लगाने की क्षमता या एकाग्रता कम होती चली जाएगी।
शिक्षा के साथ सिखाएं मूल्य
डॉक्टर कलाम बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ उन्हें जीवन के कुछ अच्छे मूल्य सिखाने की भी सलाह देते हैं। उनका कहना है कि मूल्यों के साथ शिक्षा को कुछ इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि बच्चों के मन में सच्चाई और ईमानदार का विकास हो सके। बच्चों के लिए सीखने की उम्र 5 से 17 साल होती है इसलिए इस दौरान ज्यादा जागरूक रहें।