ओडिशा : भारतीय पुरातत्व विभाग को 12वीं सदी के भगवान श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की लेजर स्कैनिंग करने की अनुमति मिल गई है। मंदिर की संरक्षण समिति ने शनिवार को भगवान के रत्न भंडार की संरचनात्मक जांच की अनुमति दे दी।
भारतीय पुरातत्व विभाग को 12वीं सदी के भगवान श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की लेजर स्कैनिंग करने की अनुमति मिल गई है। मंदिर की संरक्षण समिति ने शनिवार को भगवान के रत्न भंडार की संरचनात्मक जांच की अनुमति दे दी। लेजर स्कैनिंग यह पता लगाने की एक प्रक्रिया है कि पत्थर की दीवारों पर दरारें और क्षति तो नहीं है।
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक रंजन के. दास ने कहा, हमने एएसआई को रत्न भंडार की लेजर स्कैनिंग करने की अनुमति दे दी है और एजेंसी मंदिर में भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए ऐसा करेगी। लेजर स्कैनिंग पवित्र कार्तिक महीने के बाद नवंबर के अंत तक होने की संभावना है।
एएसआई के एक अधिकारी ने कहा, रत्न भंडार के प्रत्येक पत्थर को स्कैन किया जाएगा और सूक्ष्म दरारों को भी उजागर करने के लिए उसका दस्तावेजीकरण किया जाएगा। दस्तावेज का इस्तेमाल संरक्षण की योजना बनाने और रत्न भंडार की भौतिक संरचना की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाएगा। यह मुद्दा पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब की अध्यक्षता में एसजेटीएमसी की बैठक में उठाया गया था।
उन्होंने कहा, विभिन्न प्रस्ताव पर चर्चा के बाद समिति ने एएसआई को रत्न भंडार की लेजर स्कैनिंग करने की अनुमति देने का फैसला किया। इससे पहले, रत्न भंडार की संरचना और इसकी सूची पर विभिन्न संगठनों ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी। रत्न भंडार 1978 से नहीं खोला गया है। मंदिर प्रबंधन समिति ने इससे पहले ओडिशा सरकार से सिफारिश करने का फैसला किया था कि एएसआई को अगले साल रथ यात्रा के दौरान रत्न भंडार खोलने और उसकी मरम्मत का काम करने की अनुमति दी जाए।
ओडिशा उच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें खजाने की तिजोरी खोलने का निर्देश देने की मांग की गई थी। एक सवाल के जवाब में दास ने कहा कि श्री जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के लिए निर्माण कार्य अगले साल 17 जनवरी को लोगों को समर्पित किया जाएगा।