: श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज पूरे देश में मनाया जा रहे है. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmasthami) मनाई जाती है. इस खास दिन पर जानते हैं भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) और शनि देव (Shani Dev) का क्या रिश्ता है और क्यों उनके जन्म के समय माता यशोदा ने शनि देव को घर के अंदर नहीं आने दिया था, जानते हैं.
श्री कृष्ण और शनि देव की कथापौराणिक कथाओं की मानें तो जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो सभी देवी-देवता भगवान के दर्शन के लिए नंदगांव (Nand Gaon) पहुंचे. शनि देव (Shani Dev) भी श्री कृष्ण के दर्शन के लिए यहां पहुंचे.
लेकिन माता यशोदा (Yasoda Maa) ने उन्हें घर के भीतर घुसने नहीं दिया, यशोदा मां ये नहीं चाहती थीं की शनि (Shani) की क्रूर दृष्टि उनके पुत्र पर पड़े इसी कारण उन्होंने शनि देव को अंदर आने से मना कर दिया. इस बात का शनि देव को बहुत बुरा लगा और वह दुखी होकर ध्यान और तपस्या के लिए वन की ओर चले गए.कुछ समय के बाद भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) की मधुर बासुंरी की ध्वनि को सुनकर महिलाएं आकृर्षित होकर वन की ओर आने लगीं, तभी श्री कृष्ण ने कोकिला यानि कोयल (Koyal) का रुप धारण किया और शनि देव को दर्शन दिए.भगवान कृष्ण शनि देव के सामने प्रकट होकर उनसे तपस्या का कारण पूछने लगे.
शनि देव ने कहा, मैं तो सिर्फ अपने न्याय करने का कर्तव्य निभा रहा हूं, फिर मुझे क्रूर क्यों मानना. साथ ही शनि देव ने बालक कृष्ण के दर्शन न कर पाने का दुख भी भगवान को बताया. इसके बाद भगवान कृष्ण ने शनि को वरदान दिया कि, जो लोग उनकी पूजा करेंगे उन्हें उनकी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी और इसके बाद उन्होंने शनि देव को नंदनवन में रहने के लिए कहा. इसके बाद से ही मथुरा का कोकिलावन शनिधाम के नाम से जाना जाता है.