नई दिल्ली:- जौ का पानी एक ट्रेडिशनल ड्रिंक है जिसे जौ के दानों को पानी में उबालकर, दानों को छानकर और कभी-कभी अन्य सामग्री मिलाकर बनाया जाता है. यह एक लोकप्रिय हेल्दी ड्रिंक है जो पोषक तत्वों से भरपूर है और इसके कई संभावित स्वास्थ्य लाभ हैं. जौ के पानी में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर के तापमान को कम करते हैं और तुरंत ऊर्जा देते हैं. इसमें कैल्शियम, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. इस खबर के माध्यम से जानते हैं जौ का पानी पीने से क्या-क्या हेल्थ बेनिफिट्स मिलते है…
जौ के पानी के फायदे
हृदय स्वास्थ्य में सुधार: जौ में बीटा-ग्लूकन नामक घुलनशील फाइबर होता है. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और अ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है. इससे हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद मिलती है. 2017 में बीएमसी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग जौ का पानी पीते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा 9 प्रतिशत कम हो जाता है. इस शोध में चीन के शंघाई जियाओतोंग विश्वविद्यालय के डॉ. डोंग लियू ने भाग लिया. उनका कहना है कि जौ का पानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.
अपच की समस्या से राहत: ज्यादा तला भूना या अनियमित खान-पान के चलते में अपच की समस्या आम होती है. ऐसे में जौ का पानी पीना बहुत अच्छा होता है. पाचन तंत्र भी साफ होता है. बदहजमी दूर हो जाती है. जौ में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है. जौ का पानी सीने में जलन, एसिडिटी, गैस, अपच और कब्ज से पीड़ित लोगों के लिए अच्छा है. जौ का पानी पीने से शरीर से सभी अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाते हैं.
निर्जलीकरण को रोकता है: जौ में पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं. निर्जलीकरण के दौरान ये इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर से नष्ट हो जाते हैं. इस क्रम में जौ का पानी पीने से इन इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर में जलयोजन स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है.
ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल: जौ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. बीटा-ग्लूकेन रक्तप्रवाह में शुगर के अवशोषण को धीमा कर देता है. यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने में मदद करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करता है. जौ का पानी मधुमेह वाले लोगों के लिए फायदेमंद है. यह ठंडा पेय हाइड्रेट करता है, पोषण देता है और विषहरण करता है, खासकर गर्मियों में, सुबह इसे पीने से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ साफ होते हैं जो आपके स्वास्थ्य और बेहतर रक्त शर्करा प्रबंधन के लिए सहायक होते हैं.
वजन घटाने में सहायक: जौ शरीर को भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन जारी करने के लिए उत्तेजित करता है. जौ का पानी पेट भरा हुआ महसूस कराता है. ये हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं. यह वजन घटाने में मदद करता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: जौ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. जौ का पानी कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में भी मदद करता है.
गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा: गर्भवती महिलाओं के लिए रोजाना जौ का पानी पीना बहुत अच्छा होता है. पैरों में सूजन की समस्या उन पर असर नहीं करती है. कोई थकान नहीं. अगर आप रोज सुबह-शाम जौ का पानी पियें तो बच्चा स्वस्थ रहेगा.
संक्रमण दूर करें: मूत्र पथ का संक्रमण महिलाओं की सबसे आम समस्याओं में से एक है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या को दूर करने के लिए रोज सुबह एक गिलास जौ का पानी पीने से अच्छे परिणाम मिलेंगे. इसके अलावा, मूत्र पथ के संक्रमण, अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और यहां तक कि सूक्ष्म पथरी भी घुल जाती है.
जौ का पानी कैसे बनाएं?
जौ को हल्का भूरा होने और सूखने तक भूनें.
अब एक बर्तन को स्टोव पर रखें और तीन गिलास पानी उबालें.
वहीं, एक चौथाई कप पानी में दो चम्मच जौ का पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें.
फिर इस मिश्रण को उबलते पानी में डाल कर मिला दीजिये.. दस मिनट तक पकाइये, फिर ठंडा होने दीजिये..
इस पानी में एक चुटकी नमक मिला लें. रोजाना पीएं, यह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. इसके अलावा आप साबुत जौ को पानी में उबालकर दानों को छान लें और बचा हुआ पानी पी लें, इससे भी काफी फायदा मिलता है.
फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित परिणाम के अनुसार वैज्ञानिक रूप से अब ये बात साबित हो चुकी है की मिल्लेट्स स्वस्थ्य के लिए एक सही विकल्प हैं, और इसे हम अपने नियमित आहार में भी शामिल कर सकते हैं.मिल्लेट्स बच्चों, युवाओं और व्यस्कों में होने वाले मोटापे की समस्या को दूर करनें में भी कारगर साबित हुए है.
शोध के अनुसार मिल्लेट्स को दैनिक आहार में शामिल करने से, जिन लोगो में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा उच्च से सामान्य स्तर में पायी गयी हैं वह 8 फीसदी तक कम हो गए हैं. वही लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल जिसे खराब वसा या कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, उसकी मात्रा रक्त में 10 फीसदी तक कमी पायी गई है. इसके अलावा मिल्लेट्स की वजह से जिन लोगों को डायस्टोलिक रक्तचाप के साथ रक्तचाप में 5 प्रतिशत की कमी आई.