: अगर पानी में एक छोटा पत्थर भी डाली तो वह तुरंत डूब जाता है. लेकिन लोगों को अस्कर यह बात समझ नहीं आती कि अगर वह छोटा पत्तर पानी में आसानी से डूब जाता है, तो समुद्र या नदियों में चलने वाले जहाज या नाव, जिनका वजन एक पत्थर के मुकाबले कई गुना ज्यादा होगा है, वह पानी में क्यों नहीं डूबते?दरअसल, पानी में तैरते भारी भरकम जहाज के ना डूबने के पीछे आर्किमिडीज का प्रिंसिपल जिम्मेदार है. यह प्रिंसिपल कहता है कि किसी चीज पर लगने वाला उत्प्लावन बल (Buoyant Force) उसके द्वारा डिसप्लेस किए गए लिक्विड के भार के बराबर होता है.
जहाज, भले ही बहुत भारी हो, लेकिन वह पानी को डिसप्लेस करता है. जहाज का पतला ढांचा और जहाज में मौजूद हवा से भरे हुए डिब्बे उसे पानी में तैरने में मदद करते हैं. जब जहाज पानी में तैरता है, तो यह अपने भार के बराबर पानी को डिसप्लेस करता है. डिसप्लेस्ड पानी का भार जहाज के भार को संतुलित करता है, जिससे जहाज डूबने से बच जाता है.
इसके अलावा, जहाजों को विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है, ताकि वे पानी में तैर सकें. दरअसल, जहाज का पतला ढांचा यानी उसकी बनावट आगे से कुछ ऐसी होती है कि वह पानी को आसानी से चीरकर आगे बढ़ पाता है, जिससे पानी का प्रतिरोध (Resistance) कम होता है. वहीं, जहाज में हवा से भरे हुए डिब्बे भी होते हैं, जो जहाज की एवरेज डेंसिटी को कम करते हैं. जहाज की एवरेज डेंसिटी पानी की डेंसिटी से कम होने के कारण जहाज पानी में तैरता रहता है.
हालांकि, कुछ स्थितियां ऐसी भी हो सकती हैं, जिनमें जहाज डूब सकता है, जैसे:जहाज में छेद: अगर जहाज में छेद हो जाता है, तो पानी जहाज के अंदर घुस सकता है और जहाज डूब सकता है.अत्यधिक भार: अगर जहाज अपनी क्षमता से अधिक भार ले जाता है, तो भी जहाज डूब सकता है.तूफान: तूफान के दौरान तेज हवाएं और ऊंची लहरें जहाज को डुबो सकती हैं.