भगवान राम अपनी अयोध्या में बने भव्य मंदिर में बाल रूप में विराजमान हो चुके हैं. इस मौके पर अयोध्या का कुछ वैसा ही हाल है, जैसा राम के लंका से लौटने के वक्त रहा होगा. वही उत्साह, उमंग, अयोध्या ही नहीं देश और दुनिया के अनेक हिस्सों में देखने को मिल रहा है. अब राम की बात हो, लंका का जिक्र हो और रावण के बारे में चर्चा न हो, ऐसा कैसे हो सकता है?लंका के राजा रावण में लाख बुराइयां सही पर उसकी विद्वता पर किसी को भी संदेह नहीं है. वह ज्योतिष, चिकित्सा विज्ञान और तंत्र का अच्छा ज्ञाता था. रावण की विद्वता का प्रमाण हैं उसके द्वारा रचे गए ग्रंथ.राम ने लक्ष्मण को ज्ञान प्राप्त करने रावण के पास भेजा थावास्तव में लंकापति रावण की बुराइयों से तो सब परिचित हैं पर ऋषि विश्वश्रवा के पुत्र रावण को कई विद्याओं का ज्ञान था. आमतौर पर माना जाता है कि रावण की दस बुराइयों के कारण उसे दशानन यानी दस सिरों वाला कहा गया, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि रावण को इसलिए दशानन कहा गया, क्योंकि उसके पास अथाह ज्ञान था. उसके ज्ञान के आधार पर यह नाम मिला था. इसीलिए रावण को महापंडित तक कहा गया. रामकथा में कहा गया है कि स्वयं राम ने रावण के अंतिम समय में लक्ष्मण को ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसके पास भेजा था
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लिखा शिव तांडव स्तोत्ररावण महादेव का अनन्य भक्त तो था ही, जिद्दी भी था. वह भोलेनाथ से अमर होने का वरदान चाहता था, इसलिए हर तरह से उन्हें प्रसन्न करना चाहता था. धार्मिक-पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि शंकर को खुश करने के लिए उसने एक बार कैलाश पर्वत तक उठा लिया था. यही नहीं, उसने अपने आराध्य की आराधना करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र लिखा था, जिसके जरिए शिवजी को प्रसन्न किया था.
ज्योतिष का ज्ञाता था दशाननकई कथाओं में कहा गया है कि रावण को पहले से ही भविष्य के बारे में पता होता था. आज के संदर्भ में उसे ज्योतिषी के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि उसे ज्योतिष विद्या का भी ज्ञान था. रावण संहिता में उसने ज्योतिष और अपने जीवन के साथ ही अन्य विद्याओं के बारे में लिखा है. रावण को चिकित्सा और तंत्र विद्या की भी जानकारी थी.इसका पता रावण के लिखे दस शतकात्मक अर्कप्रकाश नामक ग्रंथ से चलता है. इसमें रावण ने चिकित्सा के साथ ही तंत्र विद्या के बारे में भी काफी विस्तार से लिखा है. आज भी यह ग्रंथ काफी प्रसिद्ध है.
तंत्र और उपचार के बारे में रावण ने एक और ग्रंथ दस पटलात्मक में भी लिखा है. इसमें भी चिकित्सा और तंत्र विद्या की विस्तृत जानकारी मिलती है.आयुर्वेद के रहस्यों का किया खुलासारावण की तंत्र विद्या, ज्योतिष ज्ञान और चिकित्सा के ज्ञान का अंत यही नहीं होता है.
रावण के लिखे एक और ग्रंथ कुमारतंत्र में आयुर्वेद के रहस्यों के बारे में बताया गया है. इसी ग्रंथ में रावण ने ज्योतिष के बारे में जानकारी दी है तो चिकित्सा पद्धति के बारे में भी बताया है. चिकित्सा और तंत्र विद्या को लेकर रावण ने एक और ग्रंथ की रचना की थी, जिसे उड्डीशतंत्र के नाम से जाना जाता है. यह पुस्तक वशीकरण और टोने-टोटके की इच्छा रखने वालों के बीच काफी लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें इन दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इससे भी एक कदम आगे बढ़कर रावण ने इस पुस्तक में खास तंत्र ज्ञान की रहस्यमय साधना के साथ ही उसके प्रयोगों के गोपनीय तरीकों का भी उल्लेख किया है.
रावण के ग्रंथ से मिलती है नर्वस सिस्टम की जानकारीरावण को मनुष्य के शरीर विज्ञान के बारे में कितनी जानकारी थी, इसका अंदाजा उसके द्वारा लिखे गए नाड़ी परीक्षा नामक ग्रंथ से लगाया जा सकता है. अपनी इस रचना में रावण ने नर्वस सिस्टम यानी नाड़ी चिकित्सा के बारे में जानकारी दी है. इसके वाला इस ग्रंथ में भी तंत्र के बारे में जानकारी मिलती है.रावण की संस्कृत में लिखी अरुण संहिता में हस्तरेखा, जन्मकुंडली और सामुद्रिक शास्त्र की जानकारी मिलती है. यही नहीं, रावण ने इंद्रजाल, अंक प्रकाश, रावणीयम, प्राकृत लंकेश्वर, प्राकृत कामधेनु जैसे ग्रंथों की भी रचना थी.